धुलिया : इस वर्ष सामाजिक संगठनों (Social Organizations) ने शहर सहित जिले में पटाखों (Firecrackers) के बिना पर्यावरण (Eco-Friendly) के अनुकूल दिवाली मनाने (Diwali Celebration) का आह्वान किया था। लेकिन कई लोगों ने इस पर अमल ना करते हुए पटाखे फोड़े। जिससे शहर में ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) होता रहा। पटाखों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण की मात्रा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा मापी गई, जिसे 75 डेसिबल से कम पाया गया।
महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) ने शहर में तीन जगहों पर पटाखों की तीव्रता नापी गई। दिवाली में लक्ष्मी पूजन और पाड़वा के दिन ज्यादातर पटाखे जलाए जाते हैं। इसलिए, दिवाली के दिन, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पटाखों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण के स्तर को मापता है।
महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) द्वारा नियुक्त एक एजेंसी ने शहर में तीन स्थानों पर पटाखा मापने के उपकरण लगाए थे। इस डिवाइस पर चौबीस घंटे की रीडिंग औसत थी। जिसके अनुसार 4 नवंबर को, 75 डेसिबल से कम का शोर स्तर दर्ज किया गया था। दिन के समय अग्रेसन चौक, फूलवाला चौक में ध्वनि प्रदूषण अधिक पाया गया।
दिन में : अग्रसेन चौक – निम्न 58.2 और उच्च 70.3, फुलवाला चौक – निम्न 57.3, उच्च 70.9, संतोषी माता चौक – निम्न 57.1, उच्च 70.6 डेसिबल,
रात में : अग्रसेन चौक-निम्न 53.4, उच्च 66.2, फुलवाला चौक-निम्न 54.6, उच्च 65.2, संतोषी माता चौक-निम्न 53.6, उच्च 66.2, इसलिए दिवाली पर शहर में ध्वनि प्रदूषण में ज्यादा इजाफा नहीं हुआ। ध्वनी मापन की अंतिम रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई है।