Court rejects bail plea of Girish Chaudhary, son-in-law of NCP leader Eknath Khadse
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    मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने 2016 के पुणे जमीन सौदे से जुड़े धनशोधन के एक मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे (Eknath Khadse) को बृहस्पतिवार को गिरफ्तारी से एक सप्ताह के लिए अंतरिम सुरक्षा प्रदान कर दी।  न्यायमूर्ति एन डब्ल्यू साम्ब्रे की एकल पीठ ने खडसे को निर्देश दिया कि वह नियमित जमानत के लिए विशेष पीएमएलए (धनशोधन रोकथाम कानून) अदालत के पास जाएं।

    अदालत ने खडसे की अग्रिम जमानत याचिका पर यह फैसला सुनाया। खडसे के वकील शिरीष गुप्ते ने दलील दी कि मामले में एक आरोप पत्र पहले ही दाखिल किया जा चुका है और जांच के दौरान उन्हें कभी गिरफ्तार नहीं किया गया। इस महीने की शुरुआत में विशेष अदालत ने खडसे को समन जारी करके अपने समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था। उसने मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दाखिल आरोप पत्र का संज्ञान लेने के बाद यह समन जारी किया था। 

    ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने बृहस्पतिवार को तर्क दिया कि खडसे को नियमित जमानत के लिए विशेष अदालत के पास जाना होगा। न्यायमूर्ति साम्ब्रे ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता नियमित जमानत या अग्रिम जमानत के लिए आज से एक सप्ताह के भीतर विशेष अदालत में याचिका दायर करे। विशेष अदालत याचिकाकर्ता को एक सप्ताह तक हिरासत में नहीं लेगी और जमानत याचिका पर शीघ्र सुनवाई करेगी।” खडसे से अलावा उनकी पत्नी मंदाकिनी और दामाद गिरीश चौधरी के नाम भी आरोपपत्र में शामिल किए हैं।  

    चौधरी को कुछ महीने पहले इस मामले में गिरफ्तार किया गया था और अब वह न्यायिक हिरासत में है। ईडी ने आरोप लगाया है कि चौधरी और खडसे ने पुणे के समीप भोसारी में 3.75 करोड़ रुपये में सरकारी जमीन खरीदी थी जबकि उसकी असल कीमत 31.01 करोड़ रूपये थी।  अभियोजन का कहना है कि एकनाथ खडसे ने इस सौदे के लिए राजस्व मंत्री के तौर पर अपने पद का दुरुपयोग किया।

    खडसे ने इस विवाद के बाद जून 2016 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली तत्कालीन राज्य सरकार में राजस्व मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अक्टूबर 2020 में भाजपा छोड़ दी थी और वह राकांपा में शामिल हो गये थे।  (एजेंसी)