Case registered against 20 people for organizing bullock cart race
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मुंबई: महाराष्ट्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय द्वारा बैलगाड़ी दौड़ को मंजूरी देने वाले संशोधित कानून की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखने के फैसले का बृहस्पतिवार को स्वागत किया और कहा कि वह बैलगाड़ी दौड़ आयोजित करने के लिए सभी प्रकार से सहयोग देगी।

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक के उन संशोधन कानूनों की वैधता बरकरार रखी, जिनके तहत क्रमश: सांडों पर काबू पाने से जुड़े खेल ‘जल्लीकट्टू’, बैलगाड़ी दौड़ और भैंसों की दौड़ से संबंधित खेल ‘कंबाला’ को मंजूरी दी गई थी। महाराष्ट्र के आबकारी मंत्री शंभुराज देसाई ने निर्णय का स्वागत किया। देसाई ने कहा, ‘‘ हम बैलगाड़ी दौड़ आयोजित करने के लिए सभी सहयोग देंगे।”

उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि संशोधन अधिनियम तब पारित हुआ था जब वह मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कहा,‘‘ हम इस बात से बेहद प्रसन्न हैं कि जब मैं राज्य का मुख्यमंत्री था तब लागू किया गया संशोधन अधिनियम तथा अदालतमें पेश की गई रिपोर्ट कि बैल दौड़ने वाला जीव है को शीर्ष अदालत ने बरकरार रखा है। इससे राज्य भर में बैलगाड़ी दौड़ आयोजित करने का रास्ता साफ हुआ है।”

फडणवीस ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के विधायक महेश तथा पार्टी के विधान परिषद सदस्य गोपीचंद पडलकर ने कानूनी विजय सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास किए। राज्य के राजस्व और पशुपालन मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का फैसला किसानों की जीत है।

उन्होंने एक बयान में कहा कि दौड़ दोबारा शुरू करने के लिए 12 वर्ष पहले कानूनी लड़ाई शुरू की गई थी। राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार ने इसमें अहम भूमिका निभाई है। मंत्री ने कहा कि बैलगाड़ी दौड़ ग्रामीण इलाके के लोगों की भावनाओं से जुड़ा है और यह रोजगार पैदा करने वाली पहल है। इस दौड़ पर 2011 में प्रतिबंध लगा दिया गया था।