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    नागपुर: मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र पड़ोसी राज्य कर्नाटक के मराठी भाषी इलाकों के लोगों के साथ दृढ़ता से खड़ा है और उन्होंने राजनीतिक दलों से ऐसा बर्ताव नहीं करने की अपील की, जिससे लोगों को ठेस पहुंचती हो। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार सीमा पर स्थित गांवों के विकास के लिए एक विशेष कार्यक्रम शुरू करेगी और उनकी शिकायतों का निवारण करेगी।

    उन्होंने दोनों राज्यों के बीच चल रहे सीमा विवाद की पृष्ठभूमि में कहा कि महाराष्ट्र सरकार कर्नाटक में हिरासत में लिए गए लोगों और नेताओं को रिहा कराने के प्रयास कर रही है। नागपुर में राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन यह मुद्दा उठाते हुए विपक्ष के नेता अजित पवार ने कहा कि सीमा विवाद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप के बावजूद शिवसेना (शिंदे गुट) सांसद धैर्यशील माने को कर्नाटक के बेलगावी में प्रवेश करने से रोक दिया। 

    पवार ने कहा, ‘‘जब अमित शाह जी के समक्ष यह स्पष्ट हो गया था कि उन्हें (लोगों को) रोका नहीं जाएगा तब सांसद (माने) को वहां प्रवेश करने से एक जिलाधिकारी कैसे रोक सकते हैं। हमें यह मनमानी बर्दाश्त नहीं करनी चाहिए। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को कड़ा रुख अपनाना चाहिए। (कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज) बोम्मई ने इसकी स्वीकृति दे दी थी, लेकिन जिलाधिकारी ने बोम्मई की भी नहीं सुनी।”

    इस पर शिंदे ने कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं हो सकता कि पवार द्वारा उठाया गया मुद्दा महाराष्ट्र के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पहली बार केंद्रीय गृह मंत्री ने मामले में हस्तक्षेप किया और मध्यस्थता की। उन्होंने एक बैठक बुलायी और यह पहली बार हुआ। उन्होंने मामले को गंभीरता से लिया है।”

    उन्होंने कहा, ‘‘हमें सीमावर्ती इलाके में रह रहे लोगों के साथ होना चाहिए, उनके संघर्ष का समर्थन करना चाहिए और इस तरीके से बर्ताव करना चाहिए कि उनकी भावनाओं को ठेस न पहुंचे।” शिंदे ने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र से अनुरोध किया है कि यह मुद्दा महाराष्ट्र के सम्मान से जुड़ा हुआ है और उसे महाराष्ट्र तथा सीमावर्ती इलाकों में रह रहे लोगों के पक्ष में दृढ़ रुख अपनाना चाहिए। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने सीमावर्ती इलाकों में रह रहे लोगों के कल्याण से जुड़ी योजनाएं रोक दी, जबकि उनकी सरकार ने चार महीने में उन्हें फिर से शुरू किया। राज्य विधान परिषद में भी विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने सीमा विवाद का मुद्दा उठाया और शिवसेना सांसद माने के बेलगावी जाने पर लगायी रोक की निंदा की।

    दानवे ने पूछा, ‘‘क्या हम भारत-पाकिस्तान सीमा पर रह रहे हैं जो ऐसी चीजें हो रही हैं?” इसके जवाब में उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार सीमा पर स्थित गांवों के विकास के लिए विशेष कार्यक्रम चलाएगी और उनकी शिकायतों का निवारण करेगी। फडणवीस ने कहा कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा है कि वे मामले को बढ़ाना नहीं चाहते क्योंकि यह उच्चतम न्यायालय के विचाराधीन है।

    विधान भवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत में उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘केंद्रीय गृह मंत्री के समक्ष यह तय हुआ था कि दोनों राज्यों के लोगों को सीमा पार करने तथा पड़ोसी इलाकों में जाने से नहीं रोका जाएगा। हालांकि, कर्नाटक सरकार ने महाराष्ट्र के लोगों को लोकतांत्रिक रूप से आयोजित एक स्थानीय मार्च में भाग लेने नहीं दिया। हम कर्नाटक के मुख्यमंत्री के समक्ष इस मुद्दे पर भी चर्चा करेंगे।” लोकसभा सदस्य माने को महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) द्वारा आयोजित एक रैली में भाग लेना था लेकिन उन्हें बेलगावी जाने की अनुमति नहीं दी गयी। एमईएस बेलगावी का महाराष्ट्र में विलय करने की मांग कर रही है।