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    मुंबई: स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के क्रूज जहाज पर नशीले पदार्थ पकड़े जाने के मामले पर जारी राजनीतिक घमासान के बीच शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ऐसा मानकर चल रही है कि केंद्रीय जांच एजेंसिया की आका वही है लेकिन उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि लोकतंत्र में आका बदलते रहते हैं। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित एक संपादकीय में कहा गया है कि नशीले पदार्थ मामले में 25 करोड़ रुपये मांगे जाने के आरोप एक बड़ी समस्या का केवल छोटा-सा हिस्सा है। इस मामले में बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान का बेटा आर्यन खान आरोपी है।

    उसने कहा, ‘‘आका और उनके सियासी हुक्म सुनने वालों को परिणामों की चिंता करनी चाहिए।” उसने कहा कि सवाल अभिनेता शाहरुख खान या उनके बेटे का नहीं है बल्कि केंद्रीय जांच एजेंसियों के चरित्र और ईमानदारी का है। इसकी जांच कौन करेगा कि मामले में एनसीबी का एक गवाह किरण गोसावी कहां छिपा है? 

    पुणे में धोखाधड़ी के मामले का सामना कर रहा गोसावी तब से लापता है जब से मुंबई तट पर इस महीने एक क्रूज जहाज पर एनसीबी के छापा मारने के बाद आर्यन खान के साथ उसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गयी। सोमवार को गोसावी ने उसके सहायक और मामले में एक और गवाह प्रभाकर सैल द्वारा वसूल की दावों से इनकार कर दिया और कहा कि वह जल्द ही लखनऊ पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करेगा।  

    एनसीबी ने आर्यन खान को छोड़ने के बदले में एजेंसी के मुंबई मंडल के निदेशक समीर वानखेड़े समेत कुछ अधिकारियों द्वारा 25 करोड़ रुपये की वसूली मांगने के सैल के दावों की जांच के आदेश दिए हैं। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ तीन दलों शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने लगातार आरोप लगाया है कि विपक्षी दलों को निशाना बनाए जाने के लिए केंद्रीय एजेंसियां का इस्तेमाल किया जा रहा है।  

    ‘सामना’ में संपादकीय में कहा गया है, ‘‘भाजपा ऐसा मानकर चल रही है कि वह केंद्रीय जांच एजेंसियों का आका है। उसे यह भूलना नहीं चाहिए कि लोकतंत्र में आका बदलते रहते हैं। इतिहास इसका गवाह है। भाजपा को यह नहीं भूलना चाहिए कि वह अन्य किसी राजनीतिक दल की तरह ही है। उसे याद रखना चाहिए कि राजनीतिक ताकत आती-जाती रहती है।” 

    शिवसेना ने दावा किया, ‘‘भाजपा किसी वक्त सिद्धांतों, त्याग और राष्ट्रवाद को मानने वाली पार्टी थी लेकिन हम उसके मौजूदा रूप में उससे इसकी उम्मीद नहीं रख सकते हैं। यहां तक कि भाजपा में वरिष्ठ नेता भी असहज हैं।” उसने कहा कि लोग इसपर हैरान हैं कि कुछ ग्राम नशीले पदार्थ के लिए आर्यन खान मामले में 25 करोड़ रुपये क्यों मांगे गए। उसने कहा, ‘‘गुजरात में अडानी के नियंत्रण वाले मुंद्रा बंदरगाह पर पकड़ी गयी 3,500 किलोग्राम हेराइन के मामले में कितनी रकम मांग गयी होगी? कोई नहीं जानता कि कब यह मामला बंद हो गया लेकिन आर्यन खान का मामला अब भी चल रहा है।”

    संपादकीय में कहा गया है कि मादक पदार्थ से संबंधित कानून कहता है कि ऐसे मामलों में फंसे बच्चों को सही मार्ग पर लाए। उन्हें उनके काम के लिए सजा दी जानी चाहिए लेकिन यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे बार-बार उसी जाल में न फंसे लेकिन सच्चाई यह है कि ऐसा नहीं हो रहा है।  

    एनसीबी के ये अधिकारी अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े मादक पदार्थ मामले की जांच में भी शामिल थे जहां अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती के बैंक खाते से 4,000 रुपये का लेनदेन हुआ। 4,000 रुपये के मामले की जांच करना एनसीबी का काम नहीं है।  ‘सामना’ में कहा गया है कि महाराष्ट्र पुलिस का ऐसा ही विभाग है जो मादक पदार्थ के मामलों से निपटता है लेकिन वे व्यर्थ प्रचार का धंधा नहीं करते। (एजेंसी)