Uddhav Thackeray ,Devendra Fadnavis
उद्धव ठाकरे देवेन्द्र फड़णवीस (फाइल फोटो)

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नई दिल्ली/मुंबई. जहां एक तरफ मुंबई महानगर पालिका (BMC) के मामलों पर कैग की रिपोर्ट (CAG Report) बीते शनिवार सदन के सामने रखी गई। वहीं उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सदन के समक्ष रिपोर्ट रखने के बाद कहा कि,ये सिर्फ एक ट्रेलर है, अभी तो पूरी पिक्चर बाकी है। जानकारी हो कि, BJP-शिंदे सरकार द्वारा पिछले साल एक विशेष जांच की शुरुआत गई थी। कैग ने 28 नवंबर 2019 से 28 फरवरी 2022 यानी कोरोना काल में BMC में खर्च हुए 12 हजार करोड़ के काम का ऑडिट किया है।

ये तो सिर्फ ट्रेलर-  फडणवीस

वहीं मामले पर राज्य के उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने सदन के समक्ष रिपोर्ट रखने के बाद कहा कि,ये सिर्फ एक ट्रेलर है, अभी तो पूरी पिक्चर बाकी है। ऐसे में अब उन्होंने स्पष्ट संकेत दिया कि शिवसेना और MVA सरकार के और भी मामलों की जांच की जाएगी। इस रिपोर्ट पेश करते हुए फडणवीस ने सदन में बिना नाम लिए पूर्व की सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जांच केवल 12,000 करोड़ रुपये तक ही सीमित थी। अगर नगर निकाय के पूरे कामकाज की जांच की जाती तो अधिक अनियमितताएं सामने आतीं।

होगी जांच 

इधर फडणवीस ने सदन में कैग की रिपोर्ट पेश की तो विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन से वाकआउट कर दिया था। वहीं BJP सदस्यों ने CAG द्वारा प्रकाश में लाई गई अनियमितताओं की ACB जांच की मांग की। जिस पर डिप्टी CM फडणवीस ने स्पष्ट किया कि, CAG की रिपोर्ट जांच के लिए विधानमंडल की लोक लेखा समिति को भेजी जाएगी।

क्या है मामला 

जानकारी हो कि, राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस रिपोर्ट को सदन में पेश करते हुए पूर्व की MVA सरकार पर निशाना साधा। इस रिपोर्ट में 28 नवंबर 2019 से 28 फरवरी 2022 के दौरान  मुंबई नगर निकाय द्वारा किए गए कामों में पारदर्शिता और योजना की कमी के साथ-साथ धन के लापरवाही से इस्तेमाल के बारे में बताया गया है। साथ ही इसमें उस काल में कोरोना प्रबंधन व्यय रिकॉर्ड का ऑडिट नहीं कर सकने का भी पूरा उल्लेख किया गया है।

वहीं इस ऑडिट के दौरान सामने आया है कि BMC ने दो विभागों में 214।48 करोड़ रुपये के 20 कामों के लिए बिना निविदाएं आमंत्रित किए टेंडर जारी किया था। यह नागरिक निकाय के मैनुअल के साथ-साथ स्थापित सतर्कता दिशानिर्देशों के भी खिलाफ था। इसके साथ ही साथ ही 5 विभागों में  4,755।94 करोड़ रुपये की लागत के 64 कामों में ठेकेदारों और BMC के बीच कोई औपचारिक अनुबंध नहीं किया गया था। कानूनी अनुबंध के अभाव में BMC इन ठेकेदारों के खिलाफ चूक की स्थिति में कोई कानूनी सहारा नहीं ले पाएगा। 

इसके अलावा, ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार तीन विभागों में 3,355।57 करोड़ रुपये की लागत वाले 13 कार्यों में ठेकेदारों द्वारा किए गए कार्यों की गुणवत्ता और मात्रा का पता लगाने के लिए तीसरे पक्ष के लेखा परीक्षकों को नियुक्त भी नहीं किया गया था।