Mumbai: Former IPS AA Khan, the founder of ATS, who led the Lokhandwala shootout, passed away
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    मुंबई: रिटायर्ड आईपीएस ऑफिसर आफताब अहमद खान (IPS Officer Aftab Ahmed Khan) शुक्रवार को निधन (Death) हो गया।खान को तीन दशक पहले मुंबई पुलिस (Mumbai Police) में आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) (ATS) की स्थापना करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने मुंबई के अस्पताल में अंतिम सांस ली। एक प्रसिद्ध पुलिस अधिकारी अपने दशकों लंबे करियर के दौरान मुंबई में गैंगस्टरों (Gangsters) और आतंकवादियों (Terrorists) के खिलाफ कई अभियानों में भी शामिल रहे थे। उनकी दहशत अंडरवर्ल्ड (Underworld) में कुछ ऐसी थी के कई गैंगस्टर सिर्फ उनका नाम सुनकर ही कांप जाते थे। खान 81 वर्ष के थे।

    एक रिपोर्ट के अनुसार, एक अधिकारी ने कहा कि, शुक्रवार दोपहर उन्हें अस्पताल ले जाया गया था जहां उनका निधन हुआ। उन्होंने कहा कि, 1963 बैच के आईपीएस अधिकारी, खान ने 1995 में महाराष्ट्र पुलिस से इस्तीफा दे दिया था। तब वह पुलिस महानिरीक्षक के रूप में कार्यरत थे। अधिकारी ने कहा कि, उन्हें आज भी एटीएस के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। एटीएस की शुरुआत उस समय देश में इस तरह का पहला आतंकवाद विरोधी संगठन था। 1990 में लॉस एंजिल्स पुलिस विभाग के विशेष हथियार और रणनीति (SWAT) की प्रेरणा पर मुंबई पुलिस में आतंकवाद विरोधी एजेंसी की स्थापना की गई थी।

    खान का मुंबई और मुंबई के बाहर भी विभिन्न अभियानों में बड़ा योगदान रहा था। उनके साथ काम करने वाले एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी ने बताया कि, खान एक तेजतर्रार अधिकारी थे, उन्होंने हमेशा सामने से ऑपरेशनों का नेतृत्व किया।

    रिपोर्ट के अनुसार, खान के नेतृत्व में एक दल 24 जनवरी 1991 को गुजरात के वडोदरा गया भी गया था। जहां दो दिनों तक ‘ऑपरेशन बड़ौदा’ चला और खालिस्तान फोर्स के प्रमुख बलदेव सिंह सैनी और चार अन्य आतंकवादी मारे गए थे। इसके बाद साल 1992 में उपनगरीय मुलुंड के खिंदीपाड़ा में एक पुलिस टीम द्वारा पांच आतंकवादियों को मार गिराया गया था। इसके अलावा आतंकवादी मंजीतसिंह उर्फ लालसिंह को 1992 में खान की टीम ने मध्य मुंबई के दादर रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार किया था। वह वह अमृतसर से एक ट्रेन से मुंबई आया था। 

    खान ने मुंबई पुलिस की उस टीम का नेतृत्व भी किया था जिसने लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स में स्वाति बिल्डिंग में एक बड़े एनकाउंटर को अंजाम दिया था। इस दौरान खूंखार अपराधियों माया डोलास और दिलीप बुवा को मार दिया गया था। इस ऑपरेशन पर बॉलीवुड फिल्म ‘शूटआउट के लोखंडवाला’ भी बनी थी।