ST Strike
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    मुंबई: विलीनीकरण की मांग को लेकर एसटी कर्मचारी (ST Employees) पिछले 100  दिनों से हड़ताल (Strike) पर अड़े हुए हैं। ग्रामीण इलाकों में राज्य की जीवनवाहिनी कही जाने वाली एसटी बसों (ST Buses) के पहिए थमने से आम लोग हलाकान हैं, जबकि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजुद एसटी  कर्मचारियों द्वारा अपना आंदोलन वापस न लेना शासन-प्रशासन दोनों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

    कोरोना (Corona) की तीसरी लहर (Third Wave) शांत होने के बाद अब अंतर्राज्यीय यात्रा और पर्यटन पर लगी रोक हटा ली गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल शुरू हो गए हैं। राज्य के ग्रामीण इलाकों की जीवन रेखा कही जाने वाली एसटी हड़ताल खिंच गई है। गुरुवार को एसटी हड़ताल का 100वां दिन था , ऐसे में यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एसटी के अलावा  वैकल्पिक यातायात व्यवस्था काफी महंगी साबित हो रही है। इससे यात्रियों के सब्र का बांध टूट रहा है।

    90 प्रतिशत एसटी आवागमन थमा

    कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से लगभग 90 प्रतिशत एसटी का आवागमन ठप है। कोरोना के पहले प्रदेश में लगभग एक लाख एसटी ट्रिप लगते थे। इस समय लगभग 9 हजार फेरे ही हो रहें हैं। नतीजतन, 90  एसटी यातायात बंद है। यूनियन का दावा है कि पिछले 100 दिनों में कुल 80 एसटी कर्मचारियों और उनके परिवारों ने आत्महत्या की है। निगम के अनुसार जनवरी के अंत तक निगम के 92,266 कर्मचारियों में से 27,127 संपर्क अधिकारी काम पर लौट चुके हैं। 11,024 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है। एसटी निगम ने दावा किया कि 250 डिपो में से 243 डिपो पर काम शुरू है।

    शरद पवार की भी नहीं माने कर्मचारी

    एसटी कर्मचारियों की हड़ताल को देखते हुए पिछले दिनों एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने पहल करते हुए बैठक बुलाकर हड़ताल समाप्त कराने की कोशिश की, परंतु कर्मचारी विलीनीकरण की मांग पर अड़े ही हैं। हाईकोर्ट ने मामले पर फैसला करने के लिए मुख्य सचिव के साथ तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया। इस समिति को दिया गया 12 सप्ताह का कार्यकाल भी गुरुवार को समाप्त हो गया है। अदालत ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को रिपोर्ट पर अपनी राय देने का निर्देश दिया है। रिपोर्ट में विलय के फैसले पर एसटी कर्मचारियों सहित राज्य के लोगों का ध्यान है।

    1 हजार करोड़ का नुकसान

     उल्लेखनीय है कि पिछले लगभग 2 वर्ष से कोरोना और लॉकडाउन के चलते एसटी पहले से ही हजारों करोड़ के नुकसान में है। पिछले 100 दिनों से जारी हड़ताल की वजह से एसटी को 1000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है। कर्मचारियों को वेतन भी नहीं मिल रहा है। एसटी पर राज्य के ग्रामीण भागों के यातायात की बड़ी जिम्मेदारी है। हड़ताल की वजह से राज्य सरकार और कर्मचारी दोनों का नुकसान हो रहा है, इसके अलावा आम जनता भी परेशान है। उधर कर्मचारी यूनियन का कहना है, कि यदि फैसला नहीं हुआ तो सरकार बर्खास्त करने की मांग की जाएगी।