मुंबई. मुंबई (Mumbai) में ब्रिटिश काल में बने 12 ब्रिजों (Bridges) के पुनर्निर्माण के लिए बीएमसी (BMC) ने खाका तैयार कर लिया है। इनमें से कई ब्रिज 100 से 127 वर्ष पुराने हो चुके हैं। कई ब्रिजों की हालत जर्जर हो गई है फिर भी उस पर यातायात जारी है। अब बीएमसी ने 1775 करोड़ रुपए की लागत से इन ब्रिजों को बनाने का निर्णय लिया है। स्टेड केबल तकनीकी से इन ब्रिजों के बनने पर शहर की खूबसूरती बढ़ने के साथ ट्रैफिक जाम (Traffic Jam) की समस्या से भी छुटकारा मिल जाएगा। इन ब्रिजों को चार वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
बीएमसी ने रेल पटरियों के ऊपर बने ब्रिज को बनाने में रेलवे के परिचालन में बाधा न बने इसके लिए केबल पर ब्रिज बनाने का निर्णय लिया गया है। ब्रिज पर भारी वाहनों के आवागमन के समय ढ़हने की चिंता बनी रहती है। बीएमसी ने रेलवे के साथ बैठक कर ब्रिज के निर्माण को जल्द शुरु करने का निर्णय लिया है।
2024-25 तक पूरा करने का लक्ष्य
स्थायी समिति के अध्यक्ष यशवंत जाधव ने बताया कि ब्रिजों को वर्ष 2024-25 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। ब्रिजों की सुरक्षा कारणों से यह निर्णय लिया गया है क्योंकि ब्रिटिश शासन के दौरान रेल ओवर ब्रिज का निर्माण किया गया था जिनकी अवधि पूरी हो चुकी है। इन पुलों के निर्माण का खर्च बीएमसी वहन करेगी और पुलों का निर्माण महाराष्ट्र रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन और रेलवे द्वारा किया जाएगा।
केबल पुलों के निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही
3 जुलाई 2018 को अंधेरी में गोखले ब्रिज गिरने और 14 मार्च 2019 को छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर हिमालयन ब्रिज गिरने की घटना में सात लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद मुंबई के सभी ब्रिज का स्ट्रक्चरल ऑडिट किया गया था। जर्जर हो चुके ब्रिजों का पुनर्निर्माण कराने का निर्णय लिया गया था। ब्रिज के निर्माण में कम समय लगने और पर्यावरण के अनुकूल केबल पुलों के निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है।
ब्रिजों के लिए ऐसे जारी होगा बजट
- वर्ष 2021- 22 में 275 करोड़
- वर्ष 2022- 23 में 575 करोड़
- वर्ष 2023-24 में 735 करोड़
- वर्ष 2024-25 में 190 करोड़
यह होगा फायदा
- आकर्षक एवं , लेजर लाइट से ब्रिज की सुंदरता बढ़ेगी। शहर भी खूबसूरत दिखेगा
- ब्रिज चौड़ा होगा और ट्रैफिक समस्या दूर होगी।
- निर्माण के दौरान भी रेल परिचालन जारी रहेगा।
- केबल स्टेड विधि से ब्रिज मजबूत रहेगा
- पिलर कम होने से जगह की समस्या होगी दूर