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सूरज पांडे

मुंबई. कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) का सबको बेसब्री से इंतजार है, लेकिन कड़वी सच्चाई यह भी है कि मुंबई (Mumbai) के लोग वैक्सीन ट्रायल (Vaccine Trial) में शामिल होने के लिए हिम्मत नहीं दिखा रहे है. अब मुंबईकर (Mumbaikar) ट्रायल के लिए आगे नहीं आएंगे तो ट्रायल पूरा कैसे होगा और जब तक ट्रायल पूरा नहीं होगा तब तक वैक्सीन कैसे आएगी. अभी भी लगभग 1251 वालंटियर्स (volunteers ) की दरकार है.

सरकारी अस्पताल जेजे (J J Hospital) और मुंबई महानगरपालिका के सायन अस्पताल ( Sion Hospital) में स्वदेशी ‘कोवैक्सीन’ (Covaxine) के तीसरे और अंतिम चरण का ट्रायल चल रहा है. इस ट्रायल में प्रत्येक अस्पताल को 1000 वालंटियर्स की आवश्यकता है. यह टार्गेट 31 दिसंबर तक पूरा करना है, लेकिन सायन अस्पताल में अब तक 350 और जेजे में 399 वालंटियर्स ही ट्रायल से जुड़े है. दिसंबर महीना समाप्त होने को है, लेकिन वालंटियर्स बड़ी ही मुश्किल से मिल रहे है. 

सोशल वर्कर्स काफी प्रयास कर रहे है

सायन अस्पताल के डीन डॉ. मोहन जोशी ने कहा कि ट्रायल के लिए वालंटियर्स का आगे आना बहुत जरूरी है. हमारे सोशल वर्कर्स काफी प्रयास कर रहे है. जेजे अस्पताल में चल रहे ट्रायल के समंवयक डॉ. दिनेश धोडी ने कहा कि शुरुआत में वालंटियर्स की अच्छी संख्या आई, लेकिन अब लोग अनेक कारणों के चलते आगे नहीं आ रहे है. अस्पताल के सोशल वर्कर्स और डॉक्टर्स रोजना 25 से 30 लोगों से संपर्क कर उन्हें ट्रायल में शामिल होने के लिए प्रेरित करते है, लेकिन इसमें से मात्र 8 से 10 लोग ही राजी होते है.  मुंबईकर हर सामाजिक कार्य के लिए हमेशा से आगे रहते है. इस महान कार्य में अपना योगदान दे कर मुंबई का नाम भी रोशन कर सकते है. क्योंकि हैदराबाद, गुजरात व अन्य राज्यों को वहां के वालंटियर्स का काफी अच्छा प्रतिसाद मिला है.

अब तक के परिणाम अच्छे

ट्रायल से जुड़े डॉक्टरों की माने तो पहले और दूसरे फेज के परिणाम अच्छे है. तीसरे फेज में अभी तक जितने भी वालंटियर्स को वैक्सीन दी गई है वो भी स्वस्थ्य है.

लोगों में डर है कि वैक्सीन से उन्हें स्वास्थ्य संबंधित परेशानी होगी, लेकिन सच्चाई यह है कि वैक्सीन के पहले 2 चरण में शामिल होने वालों को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई है. दूसरी बात यातायात एक समस्या हो सकती है क्योंकि लोकल ट्रेन अभी भी आम आदमी के लिए बंद है तो वह बस या अन्य सवारी में यात्रा कर जहमत नहीं उठाना चाहते है.

-डॉ. दिनेश धोड़ी, ट्रायल समंवयक, जेजे अस्पताल