CM Thackeray to inaugurate Kalyan Dombivali Smart City Operations Center

  • सरकार के अंदर खटपट के साथ कोरोना का सामना
  • विपरीत परिस्थितियों में बनाई अपनी पहचान
  • साल 2021 को लेकर नया उत्साह

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मुंबई. साल 2019 के नवंबर माह में शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (Shiv Sena President Uddhav Thackeray) ने शिवाजी पार्क (Shivaji Park) के ऐतिहासिक मैदान में महाराष्ट्र (Maharashtra) के 19वें मुख्यमंत्री (Chief Minister) के रूप में शपथ ली थी। उद्धव ने बीजेपी के साथ अपने 30 साल पुराने गठबंधन को तोड़ते हुए कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस  पार्टी के साथ सरकार बनाने का फैसला किया। शिवसेना का कांग्रेस व राकां से हाथ मिलाना महाराष्ट्र समेत पूरे देश की राजनीति के लिए एक बड़ी घटना थी।

आमतौर से अब तक रिमोट कंट्रोल से सरकार को चलाने वाला ठाकरे परिवार ने सरकार की कमान खुद अपने हाथों में ले लिया। उस समय में सीएम ठाकरे (CM Thackeray) को इस बात का तनिक भी भान नहीं था कि साल 2020 उनके लिए काफी चुनौती लेकर आने वाला है।

मंत्रियों के विभागों का पहला चैलेंज

सीएम ठाकरे (CM Thackeray) के लिए सबसे पहला चैलेंज सरकार में अपनी सहयोगी दल कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ मंत्रियों के विभागों के बंटवारे से शुरू हुआ। सरकार के अंदर मलाईदार विभागों को अपने खाते में करने के लिए शिवसेना, कांग्रेस व राकां के नेताओं में होड़ मच गई। इस वजह से मुख्यमंत्री की शपथ लेने के कई दिनों बाद तक सरकार में मंत्रियों के विभागों का बंटवारा नहीं हो सका था। आखिरकार काफी माथापच्ची के बाद सीएम ठाकरे इस मिशन में सफल हुए। हालांकि मलाईदार विभाग नहीं मिलने से कांग्रेस नेताओं ने सीएम ठाकरे के प्रति नाराजगी का इजहार किया। कांग्रेस कोटे से कैबिनेट मंत्री बने विजय वडेट्टीवार (Vijay Vadettivar) ने मनपसंद विभाग नहीं मिलने से कई दिनों तक पदभार ग्रहण नहीं किया। हालांकि बाद में उन्हें मना लिया गया।  

मार्च में कोरोना की बड़ी चुनौती

सीएम ठाकरे तीन दलों की सरकार के बीच समन्वय बनाने की कोशिश में लगे थे कि साल 2020 के मार्च महीने बजट सत्र के दौरान ही कोरोना वायरस (Corona virus) ने मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई इलाकों में दस्तक दे दी। सीएम ठाकरे के लिए यह चुनौती काफी अप्रत्याशित थी। इसके बावजूद उन्होंने इस चैलेंज का मजबूती से सामना किया। उन्होंने 24 मार्च से महाराष्ट्र में टोटल लॉकडाउन (Lockdown) की घोषणा कर दी। इस दौरान सीएम ठाकरे ने जहां कोरोना से निपटने के लिए गोरेगांव के नेस्को ग्राउंड, बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स व एनएससीआई में जम्बो कोविड अस्पताल का निर्माण किया। वहीं संजय ओक की अगुवाई में डॉक्टरों के एक टास्क फ़ोर्स का गठन भी किया। हालांकि अब कोरोना का काफी हद तक काबू में कर लेने के बाद सीएम ठाकरे साल 2021 के अपने प्लान को लेकर काफी उत्साहित हैं।  

मातोश्री के सीएम

कोरोना महामारी (Corona epidemic) से निपटने के दौरान प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी के नेताओं ने सीएम ठाकरे को घर से काम करने वाले सीएम कह कर तंज कसा। हालांकि इन आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए उद्धव अपने मिशन में लगे रहे। इस दौरान उन्होंने ऑनलाइन मीटिंग कर पूरे राज्य में कोरोना से निपटने की कमान संभाली। जरुरत होने पर उन्होंने घर से बाहर निकल कर भी मीटिंग की।   

कुर्सी बचाने की चुनौती   

कोरोना महामारी (Corona epidemic) से बीच उद्धव को अपनी सीएम की कुर्सी को बचाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ा। उन्होंने जब सीएम पद की शपथ ली थी, तब वे किसी भी सदन का सदस्य नहीं थे। ऐसे में शपथ लेने के 6 महीने पूरे होने से पहले उद्धव के लिए किसी भी सदन का सदस्य होना जरूरी था। महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट ने सीएम ठाकरे को विधान परिषद के लिए मनोनीत करने को लेकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को प्रस्ताव भेजा, लेकिन उन्होंने इसे मंजूर करने से इंकार कर दिया। बाद में उद्धव को इस बारे में सीधे पीएम नरेंद्र मोदी से बात करनी पड़ी। पीएम के हस्तक्षेप के बाद कोरोना महामारी के बावजूद विधान परिषद के चुनाव आयोजित किए गए। सीएम ठाकरे निर्विरोध निर्वाचित होकर अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे।   

सुशांत केस को लेकर आदित्य पर निशाना

साल 2020 के दौरान सीएम ठाकरे को बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की हुई रहस्यमयी मौत को लेकर भी बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। ठाकरे सरकार के साथ छत्तीस का आंकड़ा रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री व बीजेपी सांसद नारायण राणे व उनके बेटे नितेश राणे ने सुशांत की मौत को लेकर उद्धव के पुत्र व कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे पर जम कर निशाना साधा। एक्टर की मौत की सीबीआई जांच को लेकर भी महाराष्ट्र व केंद्र सरकार के बीच टकराव देखने को मिला।

आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक्टर की मौत की जांच का जिम्मा सीबीआई को सुपुर्द कर दिया गया। हालांकि सीबीआई जांच में अभी तक सुशांत मौत की वास्तविक वजहों को लेकर कोई खुलासा नहीं हुआ है। इस दौरान बॉलीवुड एक्टर कंगना रनौत ने भी ठाकरे परिवार पर जुबानी हमले किए। मामला इतना बढ़ा कि शिवसेना की सत्ता वाली बीएमसी ने एक्ट्रेस के बांद्रा स्थित ऑफिस पर तोड़क कार्रवाई को अंजाम दे दिया। हालांकि इस मुद्दे पर मुंबई हाईकोर्ट ने बीएमसी को फटकार लगाते हुए कंगना को मुआवजा देने के आदेश दिए हैं।   

राज्यपाल से टकराव

साल 2020 के दौरान कई मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Governor Bhagat Singh Koshyari) के बीच टकराव देखने को मिले। लॉकडाउन के बीच मंदिरों को खोलने को लेकर राज्यपाल ने सीएम ठाकरे के हिंदुत्व को लेकर भी सवाल खड़े किए। इसके जवाब में उद्धव ने कहा कि मेरे हिंदुत्व के लिए आपके सर्टिफिकेट की जरुरत नहीं है। हाल ही में महाराष्ट्र विधान मंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान उद्धव ने पुराने मंदिरों के जीर्णोधार की घोषणा करते हुए कहा कि वे हिंदुत्व के एजेंडे पर अब भी कायम हैं।

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