मुंबई. पूर्वी उपनगर कांजुरमार्ग (Kanjurmarg) में मेट्रो कारशेड (Metro Carshed) बनाने के लिए भूखंड का विवाद सुलझ न पाने से काम शुरू नहीं हो पा रहा है। कांजुरमार्ग में मेट्रो कारशेड की 102 एकड़ जमीन के मुद्दे पर केंद्र-राज्य और निजी पार्टी के बीच विवाद के चलते मामला कोर्ट में है। उल्लेखनीय है कि 2019 में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आरे में मेट्रो कारशेड बनाने के फैसले को पलट कर कांजुरमार्ग में कारशेड बनाने की शुरुआत की थी। इस बीच केंद्रीय उद्योग व आंतरिक व्यापार संवर्धन मंत्रालय (डीपीआईआईटी) ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव को पत्र भेज कहा कि यह साल्ट पेन लैंड है और इस पर अब भी मालिकाना हक केंद्र सरकार का है। वैसे मुंबई सबर्बन कलेक्टर द्वारा इस जमीन को राज्य सरकार के लिए आवंटित किए जाने पर मामला शुरू हुआ।
इस बीच, डिप्टी सॉल्ट कमिश्नर मुम्बई ने साल्ट कमिश्नर जयपुर कार्यालय को पत्र भेज कर सूचित किया कि 2019-20 के रेडी रेकनर के हिसाब से उक्त 102 एकड़ जमीन की कीमत लगभग 3356 करोड़ है, यदि नियमानुसार 15 प्रतिशत छूट दी जाती है, तो भी जमीन की कीमत लगभग 2852 करोड़ होती है। बताया गया कि उस समय एमएमआरडीए की तरफ से भूखंड की एवज में कीमत देने की तैयारी की गई थी, लेकिन केंद्र व निजी पार्टी द्वारा पूरे भूखंड पर किए गए दावे के बाद मामला हाई कोर्ट में चला गया।
मामला पीएम के दरबार में
पिछले सप्ताह महाराष्ट्र के कई मुद्दों पर सीएम उद्धव ने पीएम मोदी से मुलाकात की। इस दौरान भी सीएम उद्धव ठाकरे ने कांजुरमार्ग मेट्रो कारशेड का मामला सुलझाने की मांग की है। चर्चा है, कि यदि केंद्र 102 एकड़ भूखंड को लेकर अपना दावा वापस ले लेता है, तो कांजुरमार्ग में मेट्रो कारशेड का निर्माण शुरू हो जाएगा। बताया गया है कि मीटिंग के दौरान सीएम उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी को इस मेट्रो कारशेड की उपयोगिता की लेकर जानकारी देते हुए मदद की मांग की।
मेट्रो 3, 4 व 6 के लिए उपयोगी
एमएमआरडीए द्वारा बनाए जा रहे मेट्रो मार्ग 3 के साथ 4 व 6 के लिए भी कांजुरमार्ग का मेट्रो कारशेड उपयोगी साबित होगा। पिछले वर्ष राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव संजय कुमार की कमेटी द्वारा दी गई रिपोर्ट के अनुसार आरे की बजाय कांजुरमार्ग में मेट्रो कारशेड बनाए जाने पर लगभग 1580 करोड़ की बचत होगी। जानकारों का मानना है कि पॉलिटिकल इगो के चलते मेट्रो कारशेड योजना में देरी हो रही है।
99 साल की लीज हुई है खत्म
इस मामले में जानकारों का मानना है कि कांजुरमार्ग भूखंड को लेकर लिटिगेशन नहीं है। आरे में मेट्रो कारशेड बनाने के फैसले का विरोध करने वाले समाजसेवी-पर्यावरण एक्टिविस्ट जोरू बाथेना के अनुसार, 2015 में ही तत्कालीन कोंकण आयुक्त राधेश्याम मोपलवार ने उस भूखंड़ को लेकर राज्य सरकार के पक्ष में फैसला किया था। वर्ष 1906 में साल्ट पैन लैंड 99 साल की लीज पर दिया गया था, जिसकी मियाद 2016 में ही खत्म हो गई। हालांकि इस लैंड पर गारोडिया परिवार ने अपना दावा करते हुए विकास का करारनामा शापोर जी पालन जी कंपनी से किया है। वैसे कांजुरमार्ग में तो 1600 एकड़ के प्लाट का मामला है और उसमें से केवल 200 एकड़ में डिपो, कारशेड आदि परियोजना के लिए राज्य सरकार दावा किया है। एमएमआरडीए व राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि यदि केंद्र सरकार यानी पीएम चाह लेंगे तो मामला तत्काल सुलझ जाएगा।