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    मुंबई: घाटकोपर (Ghatkopar) से वर्सोवा (Versova) के बीच शुरू मुंबई की पहली मेट्रो ((Mumbai First Metro)) का अधिग्रहण अधर में लटका हुआ है। उल्लेखनीय है कि 11.4 किलोमीटर लंबी मुंबई मेट्रो-1 (Mumbai Metro-1) की शुरुआत जून 2014 में पीपीपी मॉडल के तहत हुई। अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी ने एमएमआरडीए के माध्यम इस मेट्रो-1 परियोजना का निर्माण मार्च 2007 में शुरू किया था।

    एमएमओपीएल का दावा है कि मेट्रो-1 के संचालन में रोजाना 90 लाख का नुकसान हो रहा है। शुरू में इस मेट्रो से रोजाना लगभग 4.50 लाख लोग सफर करते थे, परंतु कोविडकाल में संचालन बंद होने और उसके बाद यात्रियों की संख्या घट कर लगभग 2 लाख रह गई। भारी घाटे को देखते हुए कंपनी ने अपना हिस्सा छोड़ने की तैयारी दिखाते हुए एमएमआरडीए को अधिग्रहण करने के लिए कहा। लगभग 16 माह पूर्व एमएमआरडीए की कार्यकारी कमिटी ने मेट्रो लाइन-1 के पूर्ण आकलन के लिए एक कंसल्टेंट की नियुक्ति की, परंतु अब तक इसका आकलन नहीं हो पाया है।

    आर-इंफ्रा के पास 69% हिस्सेदारी

    आर-इंफ्रा की एमएमओपीएल में 69% हिस्सेदारी है, जबकि एमएमआरडीए के पास 26% और 5% हिस्सा ट्रांसदेव के पास है। एमएमआरडीए के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, दूसरे सबसे बड़े हिस्सेदार होने के नाते आर-इंफ्रा ने हिस्सेदारी खरीदने का ऑफर एमएमआरडीए को दिया है। वैसे पूरे एमएमआर में मेट्रो लाइनों का निर्माण एमएमआरडीए ही कर रहा है, इसलिए इसके अधिग्रहण से अन्य लाइनों के संचालन में आसानी होगी। हालांकि इसके मूल्यांकन को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।

     4,321 करोड़ मूल्यांकन  

    मुंबई मेट्रो-1 के लिए एमएमआरडीए का शुरुआती मूल्यांकन 2,356 करोड़ रुपए था, जबकि रिलायंस इंफ्रा का मूल्यांकन 4,321 करोड़ रुपए बताया जा रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, एमएमआरडीए और आर-इंफ्रा के आकलन में काफी अंतर होने के कारण अधिग्रहण को लेकर समस्या है।

    2600 करोड़ रुपए की मांग

    पिछले साल आर-इंफ्रा ने एमएमओपीएल में अपनी हिस्सेदारी छोड़ने की एवज में 2,600 करोड़ रुपए मांगे थे। एमएमआरडीए नियुक्त सलाहकार कंपनी एमएमओपीएल की सभी परिसंपत्तियों का आकलन कर रिपोर्ट देने वाली थी। कंसल्टेंट एजेंसी की रिपोर्ट पर ही सरकार को निर्णय लेना था। मेट्रो-1 का किराया बढ़ाए जाने को लेकर  एमएमआरडीए और एमएमओपीएल के बीच विवाद मुंबई हाईकोर्ट तक पहुंचा, परंतु कोई निर्णय नहीं हो पाया। इस बीच, मुंबई महानगरपालिका ने भी लगभग 117 करोड़ रुपए संपत्ति कर के बकाए का नोटिस भेजा है।