मुंबई: बीजेपी नेता आशीष शेलार (Ashish Shelar) ने 12 विधायकों का निलंबन वापस लेने के लिए विधानसभा के उपाध्यक्ष, विधान परिषद के सभापति और उप सभापति को धन्यवाद ज्ञापित करने के साथ ही राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि असंवैधानिक तरीके से किए गए निलंबन रद्द (Suspension Cancel) करने के लिए लिए हमें न्यायिक लड़ाई लड़नी पड़ी है। अदालत (Court) के फैसले से तानाशाही की हार (Dictatorship Defeat) और लोकतंत्र की जीत (Democracy Victory) हुई है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार के अहंकार का वस्त्रहरण भी हुआ है।
मुंबई बीजेपी कार्यालय में आयोजित पत्रकार परिषद में विधायक और पूर्व मंत्री शेलार ने विधानसभा के उपाध्यक्ष, विधान परिषद के सभापति और उप सभापति के दावों को खारिज करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने बीजेपी के 12 विधायकों के निलंबन मामले में महाराष्ट्र विधानमंडल को मौका दिया था, लेकिन विधानमंडल ने उस पर गौर नहीं किया और अवसर गंवा दिया। इस पूरे मामले में महाविकास अघाड़ी के अहंकार का पर्दाफाश हुआ है।
कोर्ट ने विधानसभा में पारित प्रस्ताव को अवैध, तर्कहीन और असंवैधानिक बताया
शेलार ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में महाराष्ट्र विधानसभा में पारित प्रस्ताव को अवैध, तर्कहीन और असंवैधानिक बताया है। इसलिए विधायिका के आरोपों पर स्पष्टता लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष ने विधान परिषद के सभापति और उप सभापति के साथ ने राष्ट्रपति से मुलाकात की है। जिसके तहत राष्ट्रपति से सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को रिफरेंस टू लार्जर बेंच की मांग की गई है, लेकिन यहां स्पष्ट करना चाहता हूं कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में राजाराम पाल मामले का उल्लेख किया है। उन्होंने कहा कि राजाराम मामले का फैसला 5 जजों की बेंच और यूपी रिफरेंस मामले में 7 जजों की बेंच ने वर्ष 1965 में फैसला सुनाया था। शेलार ने विधानसभा उपाध्यक्ष के उस दावे को भी ख़ारिज किया। जिसमें उन्होंने कहा था कि 70 साल में यह इस तरह का पहला मामला है।