मुंबई: कोस्टल रोड (Coastal Road) के खंभों की दूरी बढ़ाने को लेकर चल रहा विवाद अब सुलझने के करीब पहुंच गया है। राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (NIO) ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट (Report) में कहा है कि दो खंभों के बीच 60 मीटर दूरी पर्याप्त बताया है। कोस्टल रोड के चीफ इंजीनियर चक्रधर कांडलकर (Chakradhar Kandalkar) ने यह जानकारी दी।
कोस्टल रोड के पिलर को लेकर स्थानीय मछुआरे विरोध कर रहे थे। मछुआरों की मांग थी कि कोस्टल रोड के खंभों की दूरी 200 मीटर की जानी चाहिए। मछुआरों को डर है कि इन खंभों के बीच दो नावें एक साथ आने जाने से पिलर से टकरा कर दुर्घटना होने संभावना बनी रहेगी। स्थानीय मछुआरे लगातार आंदोलन कर कोस्टल रोड निर्माण का विरोध करते रहे हैं। उनका कहना है कि इससे उनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ेगा।
रोड का 53 फीसदी काम पूरा
कांडलकर ने बताया कि कोस्टल रोड के कार्य में प्रगति हो रही है। अब तक 53 फीसदी काम पूरा हो चुका है। अक्टूबर 2018 में बीएमसी ने शामलदास गांधी मार्ग (प्रिंस स्ट्रीट) फ्लाईओवर से राजीव गांधी सी ब्रिज (बांद्रा वर्ली सी ब्रिज) तक मुंबई कोस्टल रोड (दक्षिण) परियोजना शुरू की है। जुलाई 2017 में कोस्टल रोड परियाजना के लिए राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान (एनआईओ) द्वारा तैयार अध्ययन रिपोर्ट “समुद्री लहरें, अधिकतम जल स्तर, तूफानी लहरें, सुनामी लहर, ऊंचाई और समुद्र के जलस्तर में हो रहे परिवर्तन” को लेकर सुरेंद्र सी. ठाकुर देसाई ने रिपोर्ट में कहा था कि हवा की लहरों को देखते हुए नावों के सुरक्षित परिवहन के लिए दो खंभों के बीच कम से कम 160 मीटर की दूरी जरूरी है। रिर्पोट को फिर से विभाग के पास अभिप्राय के लिए भेजा गया है। एनआईओ के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. जयकुमार सिलम ने अपनी रिपोर्ट में खंभों के बीच की दूरी का 60 मीटर पर्याप्त बताया है।
- बीएमसी खंभों के चारों तरफ फेंडर लगाएगी। आपात स्थिति में सहायता के लिए जलमार्गों पर नियंत्रण के लिए सीसीटीवी लगाया जाएगा जो सीधे नियंत्रण कक्ष से जुड़ा रहेगा।
- नाव दुर्घटना के लिए 20 साल का बीमा किया जाएगा।
- टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान की रिपोर्ट के बाद मुआवजे का एलान किया जाएगा।
- महाराष्ट्र सरकार के मत्स्य विभाग के परामर्श से मौजूदा वर्ली जेट्टी का नवीनीकरण किया जाएगा, साथ ही एक नई जेट्टी का निर्माण किया जाएगा।