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    मुंबई. महाराष्ट्र (Maharashtra) के मंत्री आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) द्वारा हाल में शुरू की गई बेस्ट की वातानुकूलित बस सेवा के किराये को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कुछ यात्रियों और कार्यकर्ताओं ने इसके किराए को “बहुत ज्यादा” बताया है। महाराष्ट्र मोटर वाहन विभाग के अधिकारियों ने जहां बताया कि बस सेवा किरायों को नियामक- मुंबई महानगर क्षेत्र परिवहन अधिकरण (एमएमआरटीए) से स्वीकृति नहीं मिली है वहीं बेस्ट प्रशासन ने दावा किया है कि उसके नीति-निर्माण निकाय ने किरायों को मंजूरी दे दी है।

    राज्य के पर्यावरण एव पर्यटन मंत्री तथा शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने रविवार को, बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (बेस्ट) की पॉइंट-टू-पॉइंट (सीधी) सेवा की 60 नई इलेक्ट्रिक बसों का उद्घाटन किया। बेस्ट शिवसेना शासित शहर की नगरपालिका का परिवहन उपक्रम है। मंगलवार से बस सेवा शुरू हो गई है। बेस्ट के मुताबिक, यात्रियों को शहर के हवाई अड्डे से बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) तक की यात्रा के लिए 75 रुपये, वर्ली में नेहरू प्लेनेटोरियम तक के लिए 125 रुपये, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) तक के लिए 150 रुपये और हवाई अड्डे से दक्षिण मुंबई में स्थित होटल ट्राइडेंट तथा गेटवे ऑफ इंडिया जाने के लिए 175 रुपये किराया देना होगा।

    हालांकि, नागरिकों, यात्री कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों का आरोप है कि किराया सामान्य बेस्ट किरायों के मुकाबले “बहुत ज्यादा” है जो इतनी ही दूरी के लिए सामान्य बसों के लिए पांच रुपये से 20 रुपये और एसी बसों के लिए छह रुपये से 25 रुपये के बीच है। राज्य परिवहन आयुक्त एवं एमएमआरटीए के सदस्य अविनाश ढाकने ने पुष्टि की कि परिवहन अधिकरण को बस सेवा किराया के लिए कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है। ढाकने ने पीटीआई-भाषा को बताया, “इस संबंध में एमएमआरटीए के समक्ष कोई प्रस्ताव नहीं रखा गया है।”

    लेकिन, बेस्ट प्रशासन ने दावा किया कि उपक्रम की नीति निर्माण इकाई, उसकी समिति ने सीधी बस सेवा के लिए किराया स्वीकृत कर दिया है । बहरहाल, उसने एमएमआरटीए की स्वीकृति पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उपक्रम के प्रवक्ता ने कहा, “किराए को बेस्ट की समिति से मंजूरी मिल गई है।” राज्य मोटर वाहन विभाग के एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि जब तक नियामक, एमएमआरटीए द्वारा अनुमोदित सार्वजनिक परिवहन निकायों द्वारा तैयार किराया संरचना को मंजूरी नहीं देता, तब तक इसे लागू नहीं किया जा सकता है।