कोरोना ने बंद की पान की दुकान, गायब है अब भी होठों की लाल मुस्कान

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  • हजारों दुकानों पर लटक रहा ताला
  • पान सुपारी वालों का निकल रहा दिवाला
  • कब होंगे पान के दूकान अनलॉक?

मुंबई. वैश्विक महामारी कोरोना ने मानव जीवन की दिनचर्या को कुछ इस तरह से झकझोर दिया है कि बड़े-बड़े उद्योगों के अलावा छोटे-छोटे काम धंधों से परिवार का गुजारा करने वाले भी टूट गए हैं. इन्हीं काम धंधे वालों में पनवड़िये भी हैं जिनकी हालत दिन ब दिन बद से बदतर होती जा रही है. मुंबई में हजारों की संख्या में पान टपरी चलाकर लोगों के होठों पर लाल मुस्कान बिखेरने वाले पनवड़ियों की सुध लेने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है. कोरोना संक्रमण के चलते पिछले साढ़े चार महीने से पान की दुकानों पर ताला लगा हुआ है. इसमें बड़ी संख्या में ऐसी भी पान की दुकानें हैं जहां आधा से एक दर्जन लोग शिफ्टों में काम करते हैं. कई ऐसी भी दुकानें हैं जहां के पान विदेशों तक जाते हैं. पान के शौकीनों को जिस दुकान का जायका पसंद आता है, वे कारों एवं दुपहिया वाहनों से कई किलोमीटर की दूरी तय कर पान खाने आते हैं. शादी विवाह आदि शुभ अवसरों पर बिना पान के समारोह बेरंग नजर आता है. आवभगत में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली चाय के बाद तो पान एक परंपरा बन गयी है.

गौरतलब है कि मिशन बिगिन अगेन के तहत लॉकडाउन में ढील देते हुए महाराष्ट्र सरकार ने कई क्षेत्रों को तो खोलने की परमिशन दे दी, जिसमें अनेक दुकान, कारखाने और उद्योग धंधे शामिल हैं. परंतु कई ऐसे क्षेत्र भी हैं जिन्हें अभी भी जोखिम भरा समझ कर सरकार ने इसे खोलने के बाबत कोई भी फैसला अभी तक नहीं दिया है. पान की दुकानें उन्हीं में से एक हैं.

व्यापारी भी बेरोजगार हो गए

एक पान की दुकान पर चूना, कत्था, पान, सुपाड़ी, मसाला, सुगंधित तंबाकू, चटनी, सिगरेट, बीड़ी, किमाम आदि के साथ अनेक प्रकार की प्रजातियों वाले पान की आपूर्ति विभिन्न व्यापारियों द्वारा की जाती है. साइकिल और बाइक पर थोक दुकानदारों से माल लेकर देर रात तक घूमने वाले व्यापारी भी बेरोजगार हो गए हैं. 

थोक पान बाजार में सन्नाटा पसरा 

दक्षिण मुंबई के गुलालवाड़ी, भंडारी स्ट्रीट आदि परिसरों में ट्रांसपोर्ट द्वारा देश के कोने-कोने से आने वाले पानों की प्रजातियां पान मंडी में चार महीने से नहीं आ रही हैं. यहां पान का पुश्तैनी कारोबार करने वाले चौरसिया समाज के लोग बेकार बैठे हैं. कभी ट्रकों के शोर और पान की गिरती टोकरियों के साथ गुलजार रहने वाले थोक पान बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है. एक ऐसे ही कारोबारी राजाराम चौरसिया ने बताया कि सभी मजदूर गांव चले गए हैं, इसलिए धंधा भी नहीं है. पान की टोकरियों में आने वाले पुआल (धान का झाड़) की आपूर्ति करने वाले किसानों का भी कारोबार ठप्प पड़ा है.

दुकान बंदी का पॉजिटिव साइड इफेक्ट

हालांकि पान की दुकानों के बंद होने से पनवाड़ियों के सामने रोजगार का संकट उत्पन्न तो हुआ है लेकिन इसका एक सकारात्मक असर भी देखने को मिला है. कभी पान, सिगरेट, तंबाकू के बिना प्रेशर नहीं बनने की बात करने वालों को इसके बिना ही जीवन जीना पड़ रहा है. लॉकडाउन में 5 रुपये की पंढरपुरी 40 रुपये में बिकी. इसी तरह से 10 से 15 रुपए वाली सिगरेट 50 रुपए तक बिकी. अतः बड़ी संख्या में लोगों की तंबाकू और सिगरेट की लत कम हुई है. इससे उनके घर वालों ने राहत की सांस ली है. पंढरपुरी सुर्ती का सेवन करने वाले अधिकांश लोगों ने बताया कि इसको लेकर अक्सर घर मे बीबी से कहासुनी होती थी. कोरोना काल में आदत छूट गई तो अब सब खुश हैं.

सरकारी आदेश का इंतजार

कोरोना के प्रसार में थूकने को एक बड़ा वजह मानते हुए सरकार ने हमें दुकानों को अगले आदेश तक बंद रखने का आदेश दिया है. दूर-दूर से आने वाले ग्राहक दुकान बंद देखकर चले जाते हैं. पिछले चार महीने से दुकान एकदम बंद है. फिर भी कर्मचारियों को पगार देना पड़ रहा है. बार बार सोचता हूं कि सरकार पान की दुकानों को कब अनलॉक करेगी.  -त्रिवेणी उपाध्याय, त्रिवेणी पान भंडार

क्या करें कोई विकल्प नहीं है

बाप दादा का पुश्तैनी धंधा है, कर रहा हूं. गिनीज रिकॉर्ड होल्डर के नाते हमें गरिमा बनाए रखने के लिए क्वालिटी मेंटेन रखना पड़ता है. पिछले चार महीने की बंदी ने काफी नुकसान किया है. घर परिवार के साथ सभी खर्चे यहीं से पूरे होते थे, लेकिन बंद होने से चुनौती बढ़ गई है. आज भी कई ग्राहक फोन पर दुकान खुलने की जानकारी करते हैं, लेकिन उन्हें निराश होना पड़ता है.  –विनोद कुमार तिवारी, घंटावाला पान मंदिर

इंतजार के अलावा कोई रास्ता नहीं

कोरोना के इस संकट काल ने हमारे धंधे पर भी संकट पैदा कर दिया है. पिछले चार महीने से सिर्फ इंतजार ही कर रहे हैं. अब देखते हैं सरकार कब पान की दुकानों को अनलॉक करती है. कर्मचारियों का भी ख्याल रखना पड़ रहा है. पुलिस और मनपाकर्मियों की गश्त लगातार होती रहती है इसलिए घर पर ही बैठे हुए हैं. –प्रदीप शर्मा, सूर्यवंशी पान भंडार

अब तो भगवान का ही भरोसा

जिस तरह से प्रकृति ने कोरोना संकट पैदा कर जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है उससे तो अब भगवान का ही भरोसा बचा है. वही कुछ मार्ग निकालेंगे तो कोरोना कम होगा और पान की दुकानों पर फिर से रौनक लौटेगी. हमारे साथ पान की दुकानों पर मटेरियल सप्लाई करने वाले व्यापारियों की भी हालत खराब है. चूंकि कोरोना संक्रमण में मुख और नाक से निकलने वाले कण ज्यादा खतरनाक है इसलिए सरकार ने सख्ती की है. -दीपक त्रिपाठी, डमरू पान वाला