nitin raut

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    मुंबई: बिजली कंपनियों (Power Companies) की निजीकरण (Privatization) के अटकलों के बीच महाराष्ट्र (Maharashtra) समेत देश भर के बिजली कर्मचारी रविवार की रात 12 बजे से 28 और 29 मार्च के दो दिनों के हड़ताल (Strike) पर चले गए हैं। वहीँ हड़ताली कर्मचारियों को मनाने के लिए राज्य के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत (Nitin Raut) दिन भर जुटे रहे। उन्होंने एक ट्वीट कर साफ़ किया कि राज्य में सरकारी बिजली कंपनियों के निजीकरण की कोई योजना नहीं है। 

    उन्होंने कहा कि मैं एक कदम आगे बढ़ाता हूं और आप भी एक कदम आगे बढ़ाएं। मैं मंगलवार को कर्मचारी यूनियन के साथ बात कर उनकी समस्या को सुलझाने के लिए तैयार हूं। 

    राज्यभर में हुए प्रदर्शन

    सोमवार को मुंबई से सटे पालघर के अलावा नांदेंड़, परभणी, औरंगाबाद समेत राज्य के कई हिस्सों में बिजली कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से राज्य सरकार ने महाराष्ट्र अत्यावश्यक सेवा कानून ( मेस्मा)  लगाने की घोषणा की थी। इसके बावजूद कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। मराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड, महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड और महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी जेनरेशन कंपनी लिमिटेड के 85 हजार  श्रमिकों की सदस्यता वाली 25 से अधिक यूनियन इस हड़ताल में शामिल हैं।

    कर्मचारियों की मांग

    कर्मचारियों की मांग है कि महावितरण, महानिर्मिती और महापारेषण सरकारी कंपनियों के निजीकरण को रोका जाए। ये कर्मचारी केंद्र सरकार के विद्युत संशोधन बिल 2021 की निजीकरण योजना का विरोध कर रहे हैं।

    बिजली की मांग बढ़कर 27,000 मेगावाट हो गई है। वहीं, दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं भी चल रही हैं। साथ ही किसानों के खेतों में खड़ी फसल की वजह से किसानों को तीन महीने की रियायत देने की घोषणा की गई है। एमएसईडीसीएल पहले से ही वित्तीय संकट में है। इसके बावजूद हमारी सरकार राज्य के नागरिकों की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसे में राज्य के लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए मैं सभी कर्मचारियों से हड़ताल वापस लेने का आग्रह करता हूं।

    -नितीन राउत, ऊर्जा मंत्री