साल का पहला और सबसे बड़ा सूर्यग्रहण

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– 500 साल बाद बन रहा अनोखा महासंयोग

– मिथुन राशि में 6 ग्रहों की वक्री चाल का कमाल

– 21 जून को घटेगी दुर्लभ खगोलीय घटना

मुंबई. रविवार 21 जून को साल का पहला और सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. यह देश और दुनिया पर चमत्कारिक प्रभाव डालने जा रहा है. ज्योतिष विज्ञान के अनुसार लगभग 500 साल बाद मिथुन राशि में 6 ग्रहों की वक्री चाल के बीच लगने वाला कंकणाकृति सूर्य ग्रहण अनूठा और दुर्लभ महासंयोग बना रहा है. ज्योतिषियों और खगोल वैज्ञानिकों की दृष्टि इस सूर्य ग्रहण पर लगी हुई है. 21 जून को भारतीय मानक समय के अनुसार सुबह 09:16 बजे से सूर्य ग्रहण शुरू होगा. लेकिन मुंबई में 10:01 से यह दृश्य होगा.दोपहर बाद 01:28 बजे इसका मोक्ष काल होगा. ग्रहण का सूतक काल ग्रहण लगने से 12 घंटे पूर्व ही अर्थात 20 जून की रात्रि 09:59 बजे से प्रारंभ हो जाएगा. 21 जून साल का सबसे बड़ा दिन होता है, इस दिन सूर्य कि किरणें सीधे कर्क रेखा पर पड़ती हैं. रविवार को रवि अर्थात सूर्य पर ग्रहण लगना ऐसी खगोलीय घटना होगी जो ज्योतिषियों के साथ खगोल वैज्ञानिकों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है. सदी का यह ऐसा दूसरा सूर्य ग्रहण जो 21 जून को होने जा रहा है. इससे पहले 2001 में 21 जून को सूर्य ग्रहण लगा था.

गुरु के मार्गी होने के बाद ही कोरोना से राहत मिलेगी

ग्रहाधीनम् जगत् सर्वमं अर्थात सारा संसार ग्रहों (देवता) के अधीन है. गुरु अतिचारी व शनि वक्री हो तो संसार मे हाहाकार मचता है. गुरु एक राशि मे सामान्यतः 13 माह तक गोचर करता है. किंतु गुरु ने अपने अतिचारी चाल से 13 माह का सफर मात्र 5 माह में पूर्ण कर लिया. संहिता ग्रंथों के अनुसार यदि गुरु एक वर्ष में तीन राशियों को स्पर्श करता है तो वह वैश्विक महामारी के साथ आर्थिक समस्या का निर्माण करता है. 22 जून के बाद कोरोना वायरस पर कोई बड़ा शोध या वैक्सीन तैयार हो सकती है. 30 जून को गुरु वक्री होकर स्वयं की धनु राशि मे प्रवेश करेंगे, जहां वे वक्री रहते हुए 13 सितंबर को मार्गी होंगे. गुरु के मार्गी होने के बाद ही कोरोना से राहत मिलेगी. संक्रामक बीमारी का संबन्ध राहु से भी है जो इसी माह राशि परिवर्तन कर वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे. यह भी  कोरोना की दृष्टि से अच्छा संकेत है.

मीन का मंगल करेगा उठा-पटक

मृगशिरा नक्षत्र एवं गजु योग के मिश्रण में होने जा रहे ग्रहण के कारण कहीं कहीं अतिवृष्टि से बाढ़, जन धन हानि, उपद्रव और प्राकृतिक आपदाओं का खतरा रहेगा. मंगल नवम भाव में बैठकर द्वादश भाव में स्थित सूर्य, चंद्र, राहु, बुध को देख रहा है जिससे समुद्री तूफान की संभावना बन रही है. मंगल जल तत्व की मीन राशि में पांच माह तक रहेंगे जिसके कारण राजनीतिक उठा-पटक का संकेत मिल रहा है. -ज्योतिर्विद डॉ. बालकृष्ण मिश्र, मुंबई

मार्गी गुरु ही देंगे कोरोना से राहत

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि, केतु के कारण ही कोरोना ने वैश्विक महामारी का रूप लिया है. अतिचारी नीच का गुरु व वक्री शनि ने इस आग में घी डालने का काम किया है. 13 सितंबर को वक्री गुरु जब मार्गी होंगे तो उसके बाद ही कोरोना से राहत मिलनी शुरू हो सकती है.  -आचार्य पं. रामचन्द्र शर्मा वैदिक, उज्जैन

आपदा, महामारी, उथल पुथल का संकेत

सूर्य ग्रहण चंद्रमा के मिथुन राशि एवं आर्द्रा नक्षत्र में होने जा रहा है. यह प्रशांत महासागर क्षेत्र को अशांत करेगा. इसका भारतीय राजनीति में व्यापक प्रभाव पड़ेगा. चूंकि सूर्य को ग्रहों का राजा कहा गया है अतः भारत के प्रधानमंत्री, समुद्र किनारे राज्य के मुख्यमंत्रियों के राज्य में संकट आ सकता है. भूकंप, प्राकृतिक आपदा, राजनीति उथल पुथल का संकेत मिल रहा है. युद्ध जैसी स्थिति का निर्माण हो सकता है. -डॉ. शंकर चरण त्रिपाठी, नक्षत्र गतांवेशी, लखनऊ

प्रकृति का तांडव, सीमा पर तनाव, विश्व में प्रभाव

ग्रहण के समय 6 ग्रहों का वक्री होना प्राकृतिक आपदाओं का संकेत दे रहा है. मंगल का मीन राशि में 5 मास का निवास अतिवृष्टि, समुद्री तूफान और महामारी का संकेत कर रहा है. ग्रहण काल में शनि और गुरु के मकर राशि में वक्री होने से पड़ोसी देशों से संबंध प्रभावित हो सकता है. स्वतंत्र भारत की कुंडली के ग्रह गोचर के अनुसार देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आएगी और विश्व में भारत की साख बढ़ेगी.  -पं. हनुमान दत्त पाठक, प्रमुख पुजारी, विंध्यवासिनी शक्तिपीठ-मिर्जापुर

कंकणाकृति से कोरोना का शमन

24 अक्टूबर 1995 को लगे कंकणाकृति सूर्य ग्रहण की तरह 21 जून को भी लगने वाला सूर्य ग्रहण कंकणाकृति होने जा रहा है. यह एक दुर्लभ खगोलीय घटना का निर्माण कर रहा है. इस दिन सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर सीधी पडेंगी. इस दिन उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात होती है. कंकणाकृति ग्रहण होने से कोरोना नियंत्रण में आना शुरू हो जाएगा, लेकिन अन्‍य मामलों में यह ग्रहण अनिष्‍टकारी प्रतीत हो रहा है.

-ज्योतिर्विद पं. मोहनलाल द्विवेदी, देवीधाम मैहर शक्तिपीठ

संपूर्ण विश्व में घटेंगी अप्रत्याशित घटनाएं

यह सूर्य ग्रहण देश दुनिया के लिए बहुत ही अशुभ होने जा रहा है. रविवार की सूर्य ग्रहण का होना बहुत अशुभ माना जाता है. यह ग्रहण मिथुन राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लग रहा है. मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी चंद्र है, मिथुन राशि का स्वामी बुध है. सूर्य, बुध, राहु की युति बहुत ही अशुभ हो सकती है. साथ ही गुरु और शनि की युति भी है. मंगल कुम्भ राशि मे है इससे पूरे विश्व मे अप्रत्याशित घटनाएं घट सकती है.  -पं. अनिल त्रिपाठी, पुजारी काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर, वाराणसी