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    मुंबई : महाराष्ट्र राज्य परिवहन (Maharashtra State Transport) कामगारों (Workers) के वेतन (Salary) में बम्पर हाइक (Hike) के बाद भी हड़ताल (Strike) का मुद्दा सुलझ नहीं पाया है। कामगार इस मांग को लेकर अड़ गए हैं, कि जब तक महाराष्ट्र राज्य परिवहन को सरकार के साथ विलय करने का फैसला नहीं लिया जाता वो अपना हड़ताल जारी रखेंगे। वहीं महाराष्ट्र राज्य परिवहन कामगारों के साथ आजाद मैदान में शुरू से उनका साथ दे रहे भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर और सदाभाऊ खोत ने अपने आप को इस हड़ताल से अलग कर लिया है।

    इन नेताओं ने कहा है कि हम सरकार द्वारा महाराष्ट्र राज्य परिवहन कामगारों के वेतन में की गई वृद्धि का स्वागत करते हुए अपना आंदोलन खत्म कर रहे है। पडलकर और खोत ने कहा कि हमारे प्रयासों से बड़ी सफलता मिली है, लेकिन अब हड़ताल खत्म करने का फैसला महाराष्ट्र राज्य परिवहन कामगार संगठन को आपस में मिल कर लेना है। इन नेताओं ने कहा कि वे महाराष्ट्र राज्य परिवहन कामगारों को न्याय दिलाने के लिए उनके साथ खड़े थे। पडलकर और खोत ने कहा कि महाराष्ट्र राज्य परिवहन का सरकार के साथ विलय का मुद्दा कोर्ट में लंबित है।

    हड़ताल से अपने आप को अलग कर लिया है

    सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पडलकर और खोत को लेकर महाराष्ट्र राज्य परिवहन कामगार संगठनों में भी विवाद हो गया था। इन नेताओं का मानना है कि वेतन वृद्धि के बाद हड़ताल खत्म कर दिया जाना चाहिए, लेकिन महाराष्ट्र राज्य परिवहन कामगार इसके लिए तैयार नहीं है। यही वजह है कि अब भाजपा के इन नेताओं ने हड़ताल से अपने आप को अलग कर लिया है।

    किसी भी चीज को इतना नहीं खीचना चाहिए

    परिवहन मंत्री अनिल परब ने वेतन वृद्धि की घोषणा के बाद भी हड़ताल खत्म नहीं किए जाने पर महाराष्ट्र राज्य परिवहन कामगारों के प्रति कड़ी नाराजगी का इजहार किया है। उन्होंने कामगारों को अल्टीमेटम देते हुए कहा,  यदि वे शुक्रवार की सुबह से काम पर नहीं लौटे तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। परब ने महाराष्ट्र राज्य परिवहन कामगारों को समझाते हुए कहा कि किसी भी चीज को इतना नहीं खीचना चाहिए कि वह टूट जाए, क्योंकि एक बार टूट जाने के बाद उसे जोड़ना मुश्किल हो जाता है।

    12 सप्ताह तक हड़ताल जारी रखना ठीक नहीं है

    उन्होंने कहा कि शुक्रवार से काम पर लौटने वाले कर्मचारी पर कार्रवाई नहीं की जाएगी। निलंबित कर्मचारी का भी निलंबन वापस ले लेंगे। परब ने कहा कि महाराष्ट्र राज्य परिवहन के इतिहास में यह अब तक की सबसे बड़ी सैलरी हाइक है। उन्होंने कहा कि विलय का मुद्दा हाईकोर्ट के आदेश के बाद समिति के पास विचाराधीन है। ऐसे में कोर्ट का जो भी फैसला होगा हम उसका मान्य करेंगे। फिलहाल कर्मचारियों को विलय की जिद्द को छोड़ कर काम पर वापस लौट आना चाहिए। परब ने कहा कि 12 सप्ताह तक हड़ताल जारी रखना ठीक नहीं है। इस वजह से आम लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।