बीएमसी चुनाव में ‘खेला होबे’- शिवसेना की दहलीज पर राखी जाधव, पोस्टर से एनसीपी के नेता गायब

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    मुंबई : बंगाल विधानसभा चुनाव (Bengal Assembly Elections) में ‘खेला होबे’ (Khela Hobe) का नारा काफी चर्चित हुआ था। अब ‘खेला होबे’ का इस्तेमाल राष्ट्रीय राजनीति में होने लगा है। मुंबई महानगरपालिका चुनाव (Mumbai Municipal Corporation Elections) के पहले बीजेपी (BJP) की चुनौती को मात देने के लिए शिवसेना (Shiv Sena) दूसरी पार्टियों के मजबूत उम्मीदवारों को अपने पाले में लाने की कवायद शुरु कर दी है। गुजराती बाहुल्य घाटकोपर पूर्व (Ghatkopar East) से अपने बलबूते एनसीपी (NCP) के टिकट पर लगातार निर्वाचित होती आ रही राखी जाधव (Rakhi Jadhav) शिवसेना की दहलीज पर हैं। दशहरे के दिन 15 अक्टूबर को राखी जाधव का जन्म दिन था। पूरे इलाके को समर्थकों ने होर्डिंग से पाट दिया था, लेकिन आश्चर्यजनक रुप से होर्डिंग से एनसीपी और एनसीपी के नेता नदारद थे। चर्चा है कि राखी जाधव शिवसेना में शामिल हो सकती हैं। राखी को राजनीति में संजय पाटिल और सचिन अहिर का करीबी माना जाता है। ये दोनों नेता फ़िलहाल शिवसेना में हैं।

    महानगरपालिका में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की गुट नेता राखी जाधव के परिवार का घाटकोपर पूर्व में दबदबा रहा है। राखी जाधव की मां भारती जाधव भी नगरसेविका रही हैं। एनसीपी के मुंबई अध्यक्ष रहे पूर्व सांसद संजय पाटिल और पूर्व मंत्री सचिन अहिर के साथ राखी जाधव का अच्छा तालमेल था। सचिन अहिर की पहल पर ही राखी जाधव को एनसीपी के गुट नेता पद की जिम्मेदारी मिली थी। पाटिल और अहिर दोनों शिवसेना में शामिल हो चुके हैं, लेकिन जाधव के संबंध पहले जैसे ही हैं। घाटकोपर से ही एनसीपी के पूर्व नगरसेवक हारुन खान के साथ भी राखी जाधव के अच्छे संबंध हैं। खान शिवसेना में शामिल हो चुके हैं। हालांकि उनकी पत्नी ज्योति खान अभी भी तकनीकी रुप से एनसीपी की ही नगरसेविका हैं।

    मुंबई एनसीपी अध्यक्ष से अनबन! 

    महानगरपालिका में पार्टी की गुट नेता राखी जाधव और मुंबई एनसीपी अध्यक्ष नवाब मलिक के बीच अनबन की खबरें आती रही हैं। मुंबई अध्यक्ष के साथ पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक की बहन डॉ. सईदा खान और भाई कप्तान मलिक नगरसेवक हैं, लेकिन दोनों को महानगरपालिका की महत्वपूर्ण समितियों से अलग रखा गया है। कप्तान मलिक को सुधार समिति के काबिल भी नहीं समझा गया। हालांकि दोनों भाई-बहन दूसरी बार नगरसेवक निर्वाचित हुए हैं।

    मुखर होकर करती रही हैं शिवसेना का विरोध 

     महानगरपालिका की आम सभा और स्थायी समिति की बैठकों में राखी जाधव शिवसेना का प्रखर विरोध करती रही हैं। राखी जाधव ने शिवसेना का भूखंड घोटाला उजागर किया था। स्थायी समिति की बैठकों राखी जाधव ठेके के प्रस्तावों को लेकर शिवसेना को घेरने की लगातार कोशिश करती रहती हैं, लेकिन बदलती हुई राजनीतिक परिस्थिति में राखी जाधव सहित अन्य कई लोग शिवसेना का दामन थाम सकते हैं। इस संदर्भ में राखी जाधव की प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।