
नवभारत न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई: मिल मज़दूर (गिरणी कामगार) संघर्ष समिति ने सरकार को एक प्रस्ताव दिया था, जिसमे उन्होंने ठाणे की 110 एकड़ जमीन, खटाव मिल की 40 एकड़ जमीन और एनटीसी की जमीन, गिरणी कामगारों के घरों के लिए उपलब्ध कराने की मांग की थी। लेकिन उसपर कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है। इस वजह से गिरणी कामगार संघर्ष समिति ने खेद व्यक्त किया है। जिस पर गृहनिर्माण मंत्री अतुल सावे ने कहा कि इस प्रक्रिया में तकनीकी दिकत्तो का सामना करना पड़ रहा है। फ़िलहाल उसे दूर करने का प्रयत्न किया जा रहा है।
मुंबई: मिल मज़दूर (गिरणी कामगार) संघर्ष समिति ने सरकार को एक प्रस्ताव दिया था, जिसमे उन्होंने ठाणे की 110 एकड़ जमीन, खटाव मिल की 40 एकड़ जमीन और एनटीसी की जमीन, गिरणी कामगारों के घरों के लिए उपलब्ध कराने की मांग की थी। लेकिन उसपर कोई निर्णय नहीं लिया जा रहा है। इस वजह से गिरणी कामगार संघर्ष समिति ने खेद व्यक्त किया है। जिस पर गृहनिर्माण मंत्री अतुल सावे ने कहा कि इस प्रक्रिया में तकनीकी दिकत्तो का सामना करना पड़ रहा है। फ़िलहाल उसे दूर करने का प्रयत्न किया जा रहा है।
इस संदर्भ में 08 से 15 दिन में रिपोर्ट आ जाएगी और तस्वीर साफ़ हो जाएगी। इस फैसले से गिरणी कामगारों को राहत मिलेगी। बता दें कि म्हाडा की ओर से गिरणी कामगारों को घरों की चाबी दी जा रही है। म्हाडा ने चाबी देने का 7 चरण पूरा कर लिया है। तो वहीं दूसरी तरफ चल रहे सर्वे में आ रही समस्याओं की वजह से गिरणी कामगार परेशान है। कामगारों का कहना है कि हमारा चाबी बांटने वाले कार्यक्रम को विरोध नहीं है।
लेकिन कोनगॉव के घरों की राशि स्वीकृत कर दी गई है। तो उसका काम किया जाए। 1 लाख 50 हजार गिरणी कामगारों के आवास के विकल्पों पर गंभीरता से विचार नहीं किया जा रहा है। एनटीसी और खटाव मिल की जमीन का अधिग्रहण होना बाकी है। बाकी मिल मजदूरों को कहां मिलेगा आवास? सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। कामगारों ने बताया कि 22 जुलाई को गिरणी कामगारों के आवास के लिए निकाली जाने वाली लॉटरी भी नहीं निकाली गयी थी।