Maharashtra: Landslide caused by heavy rains in Raigad district
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    मुंबई. मुंबई (Mumbai) में पहाड़ियों के ऊपर बड़े पैमाने पर बनाए गए झोपडों के निवासी मानसून (Monsoon) के समय हमेशा भय के माहौल में रहते हैं। पहाडियों के भूस्खलन (Landslide) होने का खतरा मंडराता रहता है, मुंबई में हो रही झमाझम बरसात (Rain) के कारण किसी भी वक्त मुंबई में हादसा हो सकता है। पहाड़ी इलाकों में 22384 झोपड़े बनाए गए हैं। जिसमें रहने वाले लाखों लोगों की जान खतरे में है। फिर भी सरकार गहरी नींद में है। 

    मुंबई में कोई बड़ी दुर्घटना होने पर सरकार हरकत में आती है। मृतकों के परिजनों को मुआवजा देकर फिर उसे भुला दिया जाता है। मुंबई के 327 पहाड़ी क्षेत्रों में 22384 से ज्यादा झोपड़े आबाद हैं जो कभी भी भूस्खलन का शिकार हो सकते हैं। मुंबई झोपड़पट्टी सुधार मंडल ने अप्रैल 2010 में राज्य सरकार को अपनी सर्वे रिपोर्ट सौंपी थी। मंडल ने अपनी रिपोर्ट में मुंबई के 327 पहाड़ी क्षेत्रों में बसे 22384 झोपड़ों को हटाने की सलाह दी थी, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई सार्थक कदम नहीं उठाया जा सका है।

    कुछ खतरनाक इलाकों में अब भी सुरक्षा दीवार का निर्माण नहीं किया गया

    भूस्खलन के खतरे वाले स्थानों को चिन्हित कर सुरक्षा दीवार बनाने की जिम्मेदारी बीएमसी की है। स्थानीय विधायक के सुझाव पर विधायक निधी से म्हाडा स्लम बोर्ड सुरक्षा दीवार बनाने का काम करता है, लेकिन इसमें भी बीएमसी अधिकारियों की लापरवाही दिखाई दे रही है। कुछ खतरनाक इलाकों में अब भी सुरक्षा दीवार का निर्माण नहीं किया गया है। बीएमसी अधिकारी के मुताबिक, मुंबई में ऐसी पहाड़ियों पर हुए भूस्खलन में अब तक 260 लोगों की जान जा चुकी है। मुंबई के घाटकोपर आजाद नगर एवं साकीनाका खाड़ी नंबर-3 में वर्ष 2000 एवं 2005 में हुए भूस्खलन में क्रमश: 78 एवं 73 लोगों की मौत हुई थी। 5  सितंबर 2009 को साकीनाका की पहाड़ी पर हुआ भूस्खलन की यादें लोगों के जेहन में अब भी ताजा है। जिसमें 2 बच्चों सहित 10 लोग मलबे के नीचे दबकर मौत के मुंह में समा गए थे।

    पुनर्वास की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया

    इन हादसों के बाद राज्य सरकार ने झोपड़ियों को हटाने और उनमें रहने वालों के सुरक्षित पुनर्वास की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। पत्थर युक्त मलबे के क्षरण को रोकने के लिए पहाड़ियों पर सुरक्षा दीवारें बनवाने में 300 करोड़ रूपये से अधिक खर्च हो चुका है। राज्य सरकार ने 19 सितंबर 2011 को ही मुंबई को झोपड़पट्टी मुक्त करने का जिम्मा नगर विकास विभाग को सौंपते हुए एक माह में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए थे, लेकिन वर्षों बाद भी विभाग इस दिशा में ठोस एजेंडा तक पेश नहीं कर सका है।

    327 स्थान चिन्हित किये गए 

    साकीनाका, कुर्ला के कुरेशी नगर चेंबूर के लाल डोंगर, चूनाभट्टी, कांदीवली वेस्टर्न हाइवे के पास, गोरेगांव, अंटापहिल, वडाला, मलबार हिल  समेत  कुल 327 स्थान चिन्हित किये गए हैं, जहां भूस्खलन का खतरा बना रहता है। खतरनाक होने के बाद भी सरकारी अमला इन इलाकों पर ध्यान नहीं देता है।