Bhujbal
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    मुंबई. महाराष्ट्र विकास आघाडी सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल (Minister Chhagan Bhujbal) को महाराष्ट्र सदन घोटाले मामले (Maharashtra Sadan Scam Case) में बरी कर दिया गया है। इस मामले की सुनवाई मुंबई (Mumbai) की सेशन कोर्ट (Sessions Court) में चल रही थी, जिस पर गुरुवार को फैसला आया है। भुजबल के साथ -साथ उनके बेटे पंकज भुजबल (पूर्व एनसीपी विधायक) और उनके भतीजे समीर भुजबल (पूर्व एनसीपी सांसद) और पांच अन्य को अदालत ने सभी आरोपों से बरी कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले से भुजबल में नया बल आ गया है और वे अपने पुराने फॉर्म में वापस लौट आए हैं। वहीँ भुजबल के बरी होने से एनसीपी खेमे में भी ख़ुशी की लहर है।

    उन्हें लग रहा है कि भुजबल को क्लीन चिट मिलने से पार्टी को नई संजीवनी मिलेगी और इस फैसले का पॉजिटिव इम्पैक्ट महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ चल रहे 100 करोड़ वसूली मामले पर भी पड़ेगा।

    2 साल जेल में गुजारने पड़े

    साल 2014 में जब बीजेपी-शिवसेना की सरकार महाराष्ट्र में आई तो भुजबल के खिलाफ शिंकजा कसा जाने लगा। मार्च 2016 में उन्हें दिल्ली में बने महाराष्ट्र सदन घोटाला मामले में गिरफ्तार कर लिया गया। उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया गया। इसके बाद भुजबल को मुंबई की आर्थर रोड जेल में भेज दिए गए, जहां उन्हें दो साल जेल में बिताने पड़े। बाद में उन्हें मई 2018 में बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानंत मिल गई थी। भुजबल ने कोर्ट में दावा किया था कि इस मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कोई सबूत नहीं है। ऐसे में उन्हें इस मामले से बरी किया जाए। छगन भुजबल, उनके बेटे और भतीजे का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता प्रसाद धाकफालकर ने सजल यादव तथा सुदर्शन खावसे के साथ किया। उन्होंने दलील दी कि उनके क्लाइंट के खिलाफ सभी आरोप झूठे हैं और पूर्वधारणा पर आधारित हैं। वकीलों ने कहा कि 2016 में हजारों पृष्ठों वाले आरोपपत्र दाखिल किय जाने के बावजूद मुकदमा चलाने के लिए उनके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं है। हालांकि एसीबी ने इस अर्जी का विरोध करते हुए कहा था कि भुजबल और उनके परिवार के सदस्यों को निर्माण (कंस्ट्रक्शन) कंपनी के. एस. चमनकार इंटरप्राइजेज से रिश्वत मिली थी।

    सत्य पराजित नहीं हो सकता

    कोर्ट के फैसले के बाद भुजबल ने ट्वीट कर कहा कि सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं हो सकता है। उन्होंने पत्रकारों से हुई बातचीत में कहा कि इस दौरान मेरा परिवार बहुत कठिन समय से गुजरा। लोगों ने हमें अलग तरह से देखा। मैं जेल भी गया। भुजबल ने आरोप लगाया कि देश भर में केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शायद मैं पहला व्यक्ति था, जिसके खिलाफ एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया था। भुजबल ने कहा कि मुश्किल घड़ी में एनसीपी प्रमुख शरद पवार से उन्हें समर्थन मिला। उन्होंने कहा कि वह मेरे साथ खड़े थे और मुझे कैबिनेट में भी मंत्री बनने का मौका भी दिया।

    हाईकोर्ट में देंगे चुनौती

    महाराष्ट्र सदन घोटाले का खुलासा करने वाली सोशल एक्टिविस्ट अंजलि दमानिया ने कहा है कि भुजबल पर सेशन कोर्ट के फैसले को वे बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती देंगी। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि महाराष्ट्र सदन मामले में सत्र न्यायालय ने छगन भुजबल, के अलावा पंकज और समीर भुजबल को बरी कर दिया। मैं इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दूंगी।

    क्या था मामला

    यह मामला 2005-06 में हुए एक सौदे से जुड़ा है, जब एनसीपी नेता भुजबल लोक निर्माण विभाग के मंत्री थे। एसीबी के मुताबिक दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के निर्माण में ठेकेदारों को 80 प्रतिशत फायदा हुआ था, जबकि सरकारी परिपत्र के मुताबिक ऐसे ठेकेदार केवल 20 प्रतिशत फायदे के हकदार थे। एसीबी का कहना था कि महाराष्ट्र सदन के निर्माण की मूल लागत 13.5 करोड़  रुपए थी, लेकिन बाद में इस बढ़ा कर 50 करोड़ रुपए कर दी गई। एसीबी ने दावा किया था कि इस मामले में छगन भुजबल परिवार को निर्माण कंपनी से रिश्वत मिली थी।