MBMC school

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    -अनिल चौहान 

    भायंदर: मीरा-भायंदर महानगरपालिका (Mira-Bhayandar Municipal Corporation) का एक पुरा हिंदी विद्यालय दो कमरे में चल रहा है। इन्हीं दो कमरों में पहली से सातवीं तक की (सात) कक्षाएं चलती हैं और उन्हें पढ़ाने के लिए सिर्फ दो शिक्षक (Two Teachers) हैं। उनमें से एक बीच-बीच में विभागीय कामकाज से बाहर अथवा अवकाश पर रहते हैं। इस दिन एक ही कमरे में पूरा विद्यालय (सातों कक्षाएं)चलानी पड़ती है। इसे देखते हुए शिक्षा में दिल्ली मॉडल (Delhi Model) अपनाने की बात बोल-बचन के सिवाय कुछ नहीं लगती है।

    मीरा-भायंदर महानगरपालिका में हिंदी, मराठी, गुजराती और उर्दू माध्यम के कुल 36 विद्यालय हैं। इनमें से भायंदर पूर्व के बन्दरवाडी विद्यालय में हिंदी, मराठी और गुजराती माध्यम से सातवीं तक की पढ़ाई होती है।

    सभी विषय को पढ़ाते हैं दोनों शिक्षक 

    हिंदी माध्यम की पहली से सातवीं कक्षा में कुल 92 बच्चे हैं और इन्हें पढ़ाने के लिए सिर्फ 2 शिक्षक हैं। दोनों शिक्षक ही सभी विषय पढ़ाते हैं। शिक्षकों की कमी के चलते पहली से चौथी तक (चार कक्षाएं) एक कमरे में और 5 से 7 वीं तक (3 कक्षाएं) एक कमरे में चलाई जाती हैं। आप समझ सकते हैं कि कितने दिन पर एक कक्षा के एक विषय का नंबर आता होगा और पढ़ने-पढ़ाने में आवाजों का कितना टकराव, भ्रम और परेशानी होती होगी। वैसे तो यह  विद्यालय एक इमारत में है, लेकिन इसके लिए 7 कमरों की जगह सिर्फ 4 कमरे ही रखे गए हैं और उनमें से एक में शिक्षक कार्यालय है।

    बच्चों के भविष्य के साथ मजाक

    निवर्तमान स्थानीय नगरसेवक मदन सिंह ने कहा कि जब शिक्षक ही नहीं हैं तो ऐसे में सेमी अंग्रेजी पढ़ाई, डिजिटल  एज्युकेशन और दर्जेदार शिक्षण की कल्पना, हकीकत और दावा कागजी, झूठा और खोखला हैं और देश के भविष्य के  साथ खुला मजाक हो रहा है। इस तरह से पढ़े-पढ़ाए गए बच्चे डॉक्टर-इंजीनियर, आईएएस-आईपीएस बन पाएंगे?महानगरपालिका विद्यालयों में विद्यार्थियों की घटती संख्या का एक कारण यह भी  है। सिंह ने यहां तत्काल अतिरिक्त शिक्षक नियुक्त किए जाने की मांग महानगरपालिका प्रशासक से की है। उन्होंने बताया कि कमोवेश यही हाल मराठी-गुजराती माध्यम के स्कूल का भी हैं।

    शिक्षकों की कमी है। इसलिए थोड़ा एडजस्ट करके काम चलाना पड़ रहा है। 36 नए शिक्षकों की भर्ती कर ली गई है। जिन विद्यालयों में ज्यादा बच्चे थे, वहां शिक्षक बढ़ा दिए गए हैं। इस विद्यालय में भी जल्द ही ज्यादा शिक्षक उपलब्ध करा दिए जाएंगे और अलग-अलग कमरों में सातों कक्षाएं शुरू करा दी जाएंगी।

    -संजय दोंदे, प्रशासकीय शिक्षण अधिकारी