Mumbai Metro-3

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    मुंबई: मुंबई की पहली भूमिगत मेट्रो (Underground Metro) का काम फ़ास्ट ट्रैक पर चल रहा है। मेट्रो-3 परियोजना (Metro-3 Project) के लिए आरे में ही कारशेड अप्रैल 2023 तक तैयार हो जाएगा। उसके बाद आरे-बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) खंड के बीच पहले चरण का संचालन 8 महीने बाद दिसंबर 2023 तक शुरू करने का लक्ष्य है। यह जानकारी एमएमआरसी की एमडी अश्विनी भिड़े ने दी।

    बांद्रा-कोलाबा-सीप्ज़ तक 33.5 किलोमीटर भूमिगत मेट्रो का काम तेजी से चल रहा है। भूमिगत मेट्रो की टनलिंग का काम लगभग पूरा हो गया है। मेट्रो-3 का निर्माण कर रही एमएमआरसीएल की एमडी अश्विनी भिड़े के अनुसार, मेट्रो-3 के लिए आरे में कारशेड का काम लगभग 29 प्रतिशत पूरा हो गया है। उन्होंने कहा कि पहले चरण के लिए ऑपरेशनल कंट्रोल सेंटर (ओसीसी) को छोड़कर लगभग सभी सुविधाएं तैयार हो जाएंगी। रेक जिसके लिए अप्रैल 2023 तक सुविधाएं तैयार कर ली जाएंगी उसके बाद अगले तीन से चार महीनों में पूरे कॉरिडोर से जुड़े काम पूरे कर लिए जाएंगे। मेट्रो के 9 रेक के साथ पहला चरण का यात्री संचालन शुरू होगा।

    बीकेसी स्टेशन पर बीसीसी

    आरे में मेट्रो-3 के लिए बन रहे कारशेड को लेकर उठे विवाद को लेकर अश्विनी भिड़े ने कहा कि 2014 में आरे में एमएमआरसी को 30 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई थी और इतना क्षेत्र 41 रेकों को समायोजित करने के लिए पर्याप्त है। प्रारंभिक योजना में 8 डिब्बों  के 31 रेक आसानी से कारशेड में समायोजित होंगे। अश्विनी भिड़े ने कहा कि आरे डिपो साइट पर कोई बाधा नहीं आएगी। वैसे भी बीकेसी मेट्रो स्टेशन पर बैक अप कंट्रोल सेंटर (बीसीसी) बनाने का फैसला किया गया है।

    पूरा कॉरिडोर जुलाई 2024 तक

    एमएमआरसी की एमडी अश्विनी भिड़े ने बताया कि मेट्रो-3 कॉरिडोर का पूरा खंड जुलाई 2024 तक खुलने की उम्मीद है। पहले चरण के कॉरिडोर का काम जून 2023 तक पूरा हो जाएगा। दिसंबर 2023 से तीन महीने पहले मेट्रो रेल सुरक्षा आयुक्त (सीएमआरएस) से वाणिज्यिक सेवाओं को संचालन करने की समय सीमा निर्धारित होगी। भिड़े ने कहा कि उन्हें 2041 में अतिरिक्त एक हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होगी जब आवश्यकता 41 रेक तक बढ़ जाएगी।

    2021 तक होना था पूरा  

    उल्लेखनीय है कि मेट्रो-3 की मूल लागत 23 हजार 136 करोड़ रुपए थी, जो अब बढ़ कर 33 हजार 405 करोड़ 82 लाख रुपए होगी। वर्ष 2016 में एमएमआरसीएल के माध्यम से मेट्रो-3 के काम की शुरुआत हुई। जापान सरकार के वित्तीय सहयोग से इस काम को 2021तक पूरा करने का लक्ष्य था, परंतु कोरोना, कारशेड विवाद सहित अनेक कारणों की वजह से  देरी होती रही। इसकी वजह से लागत भी बढ़ गई।