temba hospital bhayandar

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    -अनिल चौहान

    भायंदर: मीरा-भायंदर (Mira-Bhayandar) में राज्य सरकार का एकमात्र पंडित भीमसेन जोशी (टेंबा) अस्पताल (Temba Hospital) मानों फुटबॉल बन गया है। धनाभाव के कारण इसे चलाने की जिम्मेदारी एक-दूसरे पर थोपी जाती रही है। अब इस अस्पताल को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल (PPP Model) पर चलाने का प्रस्ताव स्थानीय बीजेपी विधायक गीता जैन (MLA Geeta Jain) ने राज्य सरकार को दिया है। दूसरी तरफ, इसका अभी से जोरदार विरोध भी शुरू हो गया है। इससे पहले टाउन पार्क, स्पोर्ट्स कांप्लेक्स, सामुदायिक हॉल, खेल के मैदान आदि निजी हाथों में दिए जा चुके हैं।

    गौरतलब है कि सिविल दर्जे के इस अस्पताल की जगह पहले जिला परिषद का आरोग्य केंद्र था। तत्कालीन जनता दल नगरसेवक मिलन म्हात्रे के लंबे संघर्ष के बाद मीरा-भायंदर महानगरपालिका ने इसे टेकओवर किया और वहां अस्पताल की भव्य इमारत बनाई, लेकिन कुछ साल अस्पताल चलाने के बाद ही मीरा-भायंदर महानगरपालिका (Mira-Bhayander Municipal Corporation) ने धनाभाव का हवाला देते हुए अपने हाथ खड़े कर दिए।

    अस्पताल बीमार, डॉक्टर-नर्स का टोटा

    शासन और जनप्रतिनिधियों के मांग पर राज्य सरकार ने इस अस्पताल को टेकओवर कर तो लिया, लेकिन चार साल में कभी भी मरीजों को पर्याप्त और मुकम्मल इलाज नहीं मिल सका। अस्पताल में डॉक्टर-नर्स और स्वास्थ्य कर्मियों का तकरीबन आधा पद खाली है। क-ड श्रेणी के कर्मचारियों को पिछले चार महीने से वेतन नहीं मिला है। मरीजों का खाना सेवाभावी संस्थाओं की मदद से उपलब्ध कराया जा रहा हैं।

    निजी हाथ में जाने से मिलेगा मुकम्मल इलाज 

    इन सब परेशानियों को देखते हुए स्थानीय विधायक गीता जैन ने इस अस्पताल को जन निजी भागीदार पर चलाने के लिए देने का प्रस्ताव राज्य सरकार को दिया है। उनके मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत ने इस इस संबंध में प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश अधिकारियों को दिया है। स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता वाली बैठक में पीपीपी मॉडल के तहत अस्पताल कैसे चलेगा? उसका स्लाइड शो भी दिखाया गया। विधायक जैन का कहना है कि निजी हाथ में देने के बाद लोगों को बेहतर और पर्याप्त इलाज इस अस्पताल में मिलना शुरू हो जाएगा।

    नहीं होने देंगे निजीकरण 

    विधायक प्रताप सरनाईक ने कहा कि अस्पताल का निजीकरण गलत है और ऐसा वह बिल्कुल नहीं होने देंगे। पहली बार विधायक बनने के बाद से उन्होंने प्रयास कर इसे राज्य सरकार को हैंडओवर कराया था। मौजूदा समय में थोड़ी दिक्कतें जरूर हैं, लेकिन भविष्य में लोगों को बेहतर और पर्याप्त इलाज जरूर मिलेगा। एक बार निजी हाथ में अस्पताल गया तो यहां मनमानी और निजी व्यवसाय शुरू हो जाएगा।

    महानगरपालिका की प्रापर्टी सरकार निजी हाथ में कैसे दे सकती 

    गीता जैन के ही पार्टी के पूर्व विधायक नरेंद्र मेहता निजीकरण का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि अस्पताल राज्य सरकार को चलाने के लिए दिया गया है, लेकिन प्रॉपर्टी मीरा-भायंदर महानगरपालिका की है और महानगरपालिका की संपत्ति राज्य सरकार कैसे निजी हाथ में दे सकती है? इसे सिविल अस्पताल का दर्जा है। निजी हाथ में जाने के बाद यह दर्जा छिन जाएगा और दुर्घटना होने पर लोगों को भगवती हॉस्पिटल जाना पड़ेगा। 

    क्या कर रहे हैं विधायक और सांसद 

    पंडित भीमसेन जोशी अस्पताल नियामक समिति के सदस्य वह पूर्व नगरसेवक ओमप्रकाश गड़ोदिया ने निजीकरण का विरोध किया है। उनका कहना है कि एक तरफ जनप्रतिनिधि एक सरकारी अस्पताल की इमारत का भूमिपूजन करते हैं और दूसरी तरफ दूसरे सरकारी अस्पताल को निजी हाथ में देने की सिफारिश कर रहे हैं। यह समझ से परे है। निजी हाथ में जाने पर अस्पताल में गरीबों के इलाज के लिए रिजर्व बेड का कोटा खत्म हो जाएगा। सरकार पैसा नहीं दे रही है तो तीन-तीन विधायक और एक सांसद कर क्या रहे हैं?