Aditya Thackeray

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    मुंबई: केंद्र की मोदी-2 सरकार के आखिरी बजट (Union Budget) को लेकर मुंबई में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिला है। सत्तारूढ़ बीजेपी और शिवसेना (Shinde Faction)  के नेताओं ने जहां बजट को सराहना  हैं। वहीं शिवसेना (Uddhav Thackeray Faction) सहित एनसीपी (NCP) और कांग्रेस के नेताओं ने सरकार की कड़ी आलोचना की हैं। युवा सेना प्रमुख और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) ने कहा है कि डायमंड हब को गुजरात के सूरत में भेज कर केंद्र की बीजेपी सरकार ने महाराष्ट्र के दर्द पर नामक रगड़ने का काम किया है।  

    आदित्य ठाकरे ने कहा है कि बजट पूरी तरह चुनावी है।  कर्नाटक में चुनाव होने वाला है, एक्जिट पोल ने बता दिया है कि बीजेपी को सीटें कम मिलने वाली हैं। इसलिए उस राज्य में अधिक बजट दिया गया है। बीजेपी ने उहापोह कर संविधान के खिलाफ महाराष्ट्र में सरकार बनवाई है। उसके बावजूद इस बजट में मुंबई और महाराष्ट्र को कुछ भी मिलता नहीं दिखा है।  

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मूल मंत्र सबका साथ, सबका विकास को आगे बढ़ाने एवं भारत को विकसित देश की कतार में खड़ा करने का मार्ग प्रशस्त करने वाला यह बजट है। यह अंत्योदय की संकल्पना के मुताबिक समाज के आखिरी व्यक्ति का धयन देने वाला है।

    -चंद्रशेखर बावनकुले, अध्यक्ष, महाराष्ट्र प्रदेश, बीजेपी

    केंद्रीय वित्त मंत्री की तरफ से पेश किया गया बजट सामान्य नागरिकों, किसानों और महिलाओं की दृष्टि से निराशाजनक है। यह खोखी घोषणा वाला अर्थहीन बजट है। बजट में केवल वोट का विचार किया गया है। कपास उत्पादकों की मदद का आश्वासन दिया गया, लेकिन आस्ट्रेलिया से रूई का आयात के निर्णय पर सवाल खड़ा हो रहा है।

    -अंबादास दानवे, नेता विपक्ष, महाराष्ट्र विधान परिषद

    यह चुनाव के लिए लोकप्रिय बजट नहीं, बल्कि जिन्हें राष्ट्रप्रिय है, जिन्हें जनता प्रिय है ऐसे लोगों द्वारा तैयार किया गया चहुंमुखी विकास वाला राष्ट्रप्रिय बजट है। यह देश को आत्म निर्भर करने वाला ,भयमुक्त भारत ,भूख मुक्त भारत विषमतामुक्त भारत का निर्माण करने वाला बजट है।

    -सुधीर मुनगंटीवार, सांस्कृतिक मंत्री, महाराष्ट्र

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुंबई आने वाले हैं, इसको लेकर मुंबई वासियों में मुंबई के लिए विशेष पैकेज की अपेक्षा थी, लेकिन बजट ने मुंबई वासियों की अपेक्षाओं पर धूल फेंक दिया। सबसे अधिक राजस्व देने वाले मुंबई और महाराष्ट्र को कुछ भी नहीं मिला है। सभी की आशाओं पर पानी फिर गया है।

    -विनायक राउत, सांसद, प्रवक्ता शिवसेना (शिंदे गुट)

    केंद्रीय बजट को कल होने वाले चुनाव को देखते हुए तैयार किया गया है। अब तक बीजेपी सरकार ने जन सामान्य का कमर तोड़ने का ही कार्य किया है। जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय नहीं लिया गया है। बजट में केवल कर प्रणाली को लेकर अच्छा निर्णय लिया गया गया है।

    -अरविंद सावंत, सांसद, शिवसेना (उद्धव गुट )

    ओबीसी के लिए केंद्रीय बजट में कुछ भी देखने को नहीं मिला है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में 23 ओबीसी मंत्री हैं, लेकिन ओबीसी के लिए 23 योजनाएं भी नहीं दिला पाए। यह केवल चुनावी बजट है इसका कोई फायदा नहीं है।

    -विजय वडेट्टीवार, पूर्व मंत्री, कांग्रेस

    अल्पसंख्यक समाज देश का महत्वपूर्ण अंग है। उनका कहीं भी उल्लेख नहीं हुआ। पिछले 7-8 साल से महाराष्ट्र के साथ अन्याय हो रहा है। कर्नाटक में चुनाव हो रहा है उसको देखते हुए 6 से 7 हजार करोड़ रुपए का प्राविधान किया गया, लेकिन महाराष्ट्र की अनदेखी की गयी है।

    -सुनील तटकरे, NCP

    इस साल का बजट वर्ष 2024 के चुनाव पर केंद्रित है। इसमें महज घोषणाएं हैं। आज सुबह ही सीएनजी सस्ता किया गया, नौकरी पेशा के लोगों में ध्यान में रखते हुए टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया है। जिस महिलाओं के बल पर सरकार चुन कर आयी है उस महिलाओं के मुद्दों का उल्लेख तक नहीं किया गया।

    -रुपाली चाकणकर

    इस बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य, कृषि, डिजिटलीकरण, कनेक्टिविटी, पर्यावरण, युवा, मध्यम वर्ग आदि सभी बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित रखते हुए देश के सर्वांगीण विकास को प्राथमिकता दी गई है। यह प्रगतिशील भारत के लिए भविष्य का बजट है। यह बजट ‘सहकार से समृद्धि’ के साथ नए भारत को विकास पथ पर तीव्रता से आगे ले जाते हुए ‘वंचितों को वरीयता’ प्रदान करेगा।

    -विनोद तावड़े, राष्ट्रीय महामंत्री, बीजेपी

    बजट ने मध्यम वर्ग को कुछ राहत दी है, लेकिन मैं उम्मीद कर रहा था कि इसमें उपभोक्ता मांग और खर्च को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जाएंगे। इस तरह के कदम से भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी जब दुनिया में मंदी आने की संभावना है। मोदी सरकार ने ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन पर 35,000 करोड़ का दांव लगाया है। यह भारत के नैतिक, आर्थिक और राजनीतिक हित में है। मैं इस बात से निराश हूं कि घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों का विनिवेश अब प्राथमिकता नहीं है।

    -मिलिंद देवड़ा, सीनियर कांग्रेस नेता, महाराष्ट्र