मुंबई: मध्य रेलवे (Central Railway) पर मुंबई (Mumbai) में सीएसएमटी (CSMT), एलटीटी (LTT) के बाद अब तीसरा रेल टर्मिनस पनवेल (Panvel) में तैयार हो रहा है। नवी मुंबई और एमएमआर (MMR) की बढ़ती आबादी के साथ मुंबई के टर्मिनस पर रेल यात्रियों का बोझ कम करने के उद्देश्य से पनवेल रेल टर्मिनस का निर्माण किया जा रहा है।
मध्य रेलवे के अनुसार, पनवेल टर्मिनस का लगभग 75 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। 26 कोच की सुविधा वाले इस टर्मिनस का काम दिसंबर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य है। कलंबोली में तैयार हो रहे कोचिंग कॉम्प्लेक्स में लंबी दूरी की ट्रेनों के रखरखाव कार्यों के लिए मुंबई नहीं आना होगा।
कोंकण और साऊथ के यात्रियों को सुविधा
पनवेल टर्मिनस शुरू हो जाने के बाद कोंकण और साऊथ की तरफ जाने वाले यात्रियों को सुविधा होगी। इससे मुंबई के स्टेशनों पर भार कम होगा। यह कोंकण और दक्षिण भारत के लिए छूटने वाली गाड़ियों का प्रमुख केंद्र बन जाएगा। पनवेल नवी मुंबई और एमएमआर का पहला रेल टर्मिनस होगा। उल्लेखनीय है कि इसके पहले ठाणे और मुलुंड के बीच टर्मिनस बनाए जाने की मांग हुई थी, परंतु भूखंड के अभाव में निर्णय नहीं हो सका।
2016-17 में मंजूर हुई परियोजना
वर्ष 2016-17 में इस परियोजना को मंजूरी दी गई थी। नई पनवेल टर्मिनस परियोजना में 26 कोच लंबाई का नया प्लेटफार्म , यात्रियों के लिए एक एफओबी और अन्य सुविधाओं के साथ 1,500 वर्गमीटर का नया स्टेशन भवन शामिल है। नए कलंबोली रखरखाव केंद्र में चार वाशिंग-कम-पिट लाइन, 26 कोच लंबाई की दो लाइनें, 26-कोच ट्रेनों के लिए एंट्री-कम-एग्जिट लाइन के अलावा रखरखाव शेड होगा। पनवेल टर्मिनस और काम्बोली कोचिंग कॉम्प्लेक्स को दोनों तरफ कनेक्टिविटी के साथ एक अलग तीसरी लाइन से जोड़ा जाएगा। मध्य रेलवे का लक्ष्य नए टर्मिनस से 24 डिब्बों की नई ट्रेनों को संचालित करना है।
सिडको देगा जमीन
पनवेल और कलंबोली के बीच छोटे पुलों का निर्माण पूरा हो चुका है। कलंबोली में रखरखाव शेड और स्टेशन की इमारत का काम भी पूरा हो चुका है। स्टेशन के आसपास की भूमि सिडको के पास है। त्रिपक्षीय समझौते के तहत सिडको डेक स्लैब और सर्कुलेटिंग एरिया में रैंप के लिए 1.92 हेक्टेयर जमीन देगा।