Mono Rail

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    मुंबई: आर्थिक राजधानी में शुरू देश की पहली मोनो रेल (First Mono Rail) को रफ़्तार दिए जाने का प्रयास एमएमआरडीए (MMRDA) की तरफ से जारी है। ‘मेक इन इंडिया’ (Make in India) के तहत मोनो के लिए नए रेक (New Rakes) विकसित किए जा रहे हैं। बताया गया कि नए साल की शुरुआत से मोनो के बेड़े में नए रेक शामिल  किए जाएंगे।

    मोनो की नई प्रोटोटाइप ट्रेन जनवरी-फरवरी 2023 तक उपलब्ध होगी। पहला रेक आने के बाद ट्रायल किया जाएगा जिसके बाद हर तिमाही में चार कोच वाले तीन रेक उपलब्ध होंगे। रेक के डिजाइन और निर्माण का काम भारतीय कंपनी ‘मेधा सर्वो ड्राइव्स प्रा.लि.’ को दिया गया है।  

    एमएमआरडीए खर्च करेगी 590 करोड़ रुपए

    इसके लिए एमएमआरडीए लगभग 590 करोड़ रुपए करेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, स्वदेशी कंपनी होने से पार्टस की समस्या नहीं होगी। इसके पहले चीनी कंपनी का रेक होने से पार्ट्स आदि को लेकर काफी समस्या हुई है। गौरतलब है कि एक मोनो ट्रेन में लगभग 2,500 प्रकार के पार्ट्स होते हैं।

    घाटे में हो रहा संचालन

    वैसे शुरू से ही से मोनो रेल प्राधिकरण के लिए घाटे का सौदा साबित हुआ  है। घाटे में चल रही मोनो के सुचारू संचालन के लिए नए पार्ट्स के साथ रेक की भी आवश्यकता है। इस समय मोनो के बेड़े में 7 रेक हैं, जिनमें से दो स्टैंड-बाय पर रखे जाते हैं। 

    रोजाना होते हैं 60 फेरे 

    चेंबूर से जैकब सर्कल तक चलने वाली मोनो रेल के 22 से 25 मिनट के अंतराल में रोजाना लगभग 60 फेरे होते हैं। नए रेक आने के बाद हर 12 से 15 मिनट में सर्विस बढ़ने से यात्रियों की संख्या में इजाफा होगा। नए रेक में उच्च अग्नि-प्रतिरोध क्षमता और अत्याधुनिक तकनीक होगी। यात्री बढ़ने से घाटा कम करने में मदद होगी।