- मालाड, कांदिवली, बोरीवली, दहिसर बने हब
- रंग लाई मनपा की मेहनत, कम हो रहे मरीज
- लॉक डाउन की सख्ती से मनमानी पर ब्रेक
मुंबई. वैश्विक महामारी कोरोना की तेज रफ्तार प्रशासन के लिए चुनौती बनती जा रही है. इस बीच धारावी में इसका प्रकोप काफी कम हुआ है, लेकिन महानगर के अन्य उपनगरों में इसके होते प्रसार ने कोरोना के स्वरूप को लेकर चिकित्सा विशेषज्ञों के सामने अलग समस्या उत्पन्न कर दी है. उत्तर मुंबई जिले में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. पश्चिमी उपनगर के मालाड, कांदीवली, बोरिवली और दहिसर में रोगियों की संख्या सबसे अधिक हो गयी है जिसके चलते यह कोरोना का हब बन गया है.
मनपा के आंकड़ों के अनुसार अभी तक यहां 2 लाख 20 हजार लोग कोरोना पीड़ितों के संपर्क में आए हैं. जिन्हें घर घर जांच मुहिम के तहत खोजकर क्वारंटाईन कर दिया गया है. मनपा और पुलिस प्रशासन को सख्त लॉक डाउन लागू करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है. जून की शुरुआत से ही यहां कोरोना संक्रमण के मामले तेज होने लगे थे, जिसको लेकर मनपा प्रशासन चौकन्ना हो गया था. मनपा के इसी मेहनत का नतीजा अब सामने आ रहा है जिसके चलते मामले कम होने लगे हैं. जो लोग मनमानी तरीके से बेवजह इधर उधर घूमते थे उनपर लगाम कसने से भी प्रसार रोकने में कामयाबी मिली.
स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन
उत्तर मुंबई के मालाड, कांदीवली, बोरीवली तथा दहिसर के इन परिसरों में जून माह में ही पॉश और स्लम एरिया में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने लगी थी. इसलिए मनपा और पुलिस विभाग ने मिलकर कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर संपूर्ण लॉक डाउन लागू किया था. सोसायटी के लोगों को यह जिम्मेदारी दी गई थी कि वे संक्रमित व्यक्ति और उनके परिवार को अलग थलग रखने पर ध्यान रखें ताकि संक्रमण का दायरा सील की गई इमारतों में आगे न फैल सके. स्वास्थ्य शिविर के माध्यम से रोगियों की खोज की गई.
वरिष्ठ नागरिकों को त्वरित उपचार
इस परिसर में 4 लाख 26 हजार 597 लोगों की जांच की गई. इनमें से 4022 लोगों में कोरोना के लक्षण पाए गए, जिनमे से 809 लोग पॉजिटिव पाए गए. इस अभियान में 41439 बुजुर्गों की जांच की गई. 183 वरिष्ठ नागरिकों में ऑक्सीजन की कमी पाई गई. 174 लोगों को जरूरत महसूस करते हुए अस्पताल भेजा गया.
डबलिंग में सुधार, स्लम से ज्यादा पॉश में असर
इस क्षेत्र में रोगियों में कोरोना का डबलिंग का रेट 26.53 दिन का मिला. मनपा के स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न उपायों से रोगियों की वृद्धि धीरे-धीरे कम हो रही है. इमारतों और झोपड़पट्टियों में चलाए गए सघन जांच अभियान में से 2859 झोपड़ियों से तथा इमारतों से 5349 कोरोना संक्रमित मरीज मिले. इस तरह से स्लम के मुकाबले पॉश एरिया में कोरोना का ज्यादा असर रहा.
मनपा कोविड सेंटर में ‘नो डायलिसिस’ सुविधा
पश्चिमी उपनगर के गोरेगांव से दहिसर के बीच जितने भी मनपा के कोविड अस्पताल हैं उनमें डायलिसिस सुविधा नहीं होने से कोरोना पॉजिटिव किडनी मरीजों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. इन मरीजों को कोरोना के इलाज के साथ डायलिसिस की भी जरुरत होती है, लेकिन गोरेगांव से दहिसर के बीच मनपा के किसी भी कोविड अस्पताल में डायलिसिस सुविधा उपलब्ध ही नहीं है.
मनपा की अदूरदर्शिता
मनपा की अदूरदर्शिता से गोरेगांव से दहिसर के बीच जितने भी कोविड-19 सेंटर बनाए गए हैं उनमें डायलिसिस की सुविधा का ध्यान नहीं रखा गया है. कोरोना पीड़ित किड़नी रोगियों के लिए डायलिसिस सुविधा आवश्यक होती है. यह एक बड़ी प्रशासनिक विफलता है. मनपा के 80 हजार करोड़ रुपये की फिक्स डिपॉजिट का क्या उपयोग है. – योगेश सागर, चारकोप विधायक
आंकड़ों में नहीं, काम में विश्वास
आंकड़े जारी करना सरकारी संस्थाओं की अपनी प्रक्रिया है. मनपा के 280 कोविड टेस्ट में 11 पॉजिटिव आते हैं, निजी जांच अस्पतालों की जांच में 10 में से लगभग 4 या 5 पॉजिटिव आते हैं. यह अलग मामला हो सकता है. मैंने उत्तर मुंबई के सांसद के रूप में सरकारी, निजी, संस्थाओं के जहां भी हो सका कोरोना पीड़ित लोगों को क्वारंटाइन कराकर उपचार कराया. सामाजिक संस्थाओं, समाजसेवियों के सहयोग से उत्तम दर्जे के एक दर्जन निजी कोविड सेंटर उपलब्ध कराया जिसकी गुणवत्ता को मनपा ने भी सराहा.बड़ी संख्या में लोग स्वास्थ्य लाभ ले चुके हैं. -गोपाल शेट्टी, सांसद उत्तर मुंबई
टीम वर्क से मिली सफलता
जिस तरह से उत्तर मुंबई में कोरोना ने तेज रफ्तार पकड़ी थी, लोगों में चिंता होना स्वाभाविक था. लेकिन हमने मनपकर्मियों, पुलिसकर्मियों तथा जनजागरण लाकर जनता के सहयोग से इस पर नियंत्रण किया है. अभी भी सावधानी रखने की जरूरत है.
-विनोद मिश्र, पी नार्थ, प्रभाग समिति अध्यक्ष