Mumbai Metro-3

    Loading

    मुंबई: आर्थिक राजधानी की पहली अंडरग्राउंड मेट्रो -3 (Underground Metro -3) के लिए मुंबईकरों (Mumbaikars) का इंतजार बढ़ता जा रहा है। 33.5 किलोमीटर की बांद्रा-कोलाबा-सीप्ज़ मेट्रो (Bandra-Colaba-Seepz Metro) का काम (Work) तो चल रहा है, लेकिन कारशेड (Carshed) का काम शुरू न हो पाने के साथ अभी इलेक्ट्रीकल और सिविल वर्क बाकी है।

    वर्ष 2016 में एमएमआरसीएल के माध्यम से मेट्रो-3 के काम की शुरुआत हुई। जापान सरकार के वित्तीय सहयोग से शुरू हुए अंडर ग्राउंड मेट्रो के काम को 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य था, परंतु कोरोनाकाल सहित अनेक कारणों की वजह से परियोजना में देरी होती रही। इस समय मेट्रो-3 का काम भी एमएमआरडीए कमिश्नर की देखरेख में चल रहा है। अभी भी लगभग 1.5 किलोमीटर लंबी सुरंग खोदने के अलावा स्टेशनों के निर्माण, सिग्नलिंग, दूरसंचार, ओवरहेड वायर और नियंत्रण केंद्र आदि काम बाकी हैं।

    27 अंडर ग्राउंड स्टेशन

    एमएमआरसीएल के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार,  बांद्रा-सीपज़ तक मेट्रो कॉरिडोर के पहले चरण का  ट्रायल भी 2024 के पहले नहीं शुरू हो पाएगा। यदि मेट्रो कारशेड लैंड मसला अगले कुछ माह में नहीं सुलझा तो देरी और होगी। इस बीच सरकार ने मेट्रो-3 को नेवी नगर तक बढ़ाने का फैसला भी किया है। इसके लिए  2,000 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च होंगे। पूरे रूट पर 27 भूमिगत स्टेशन हो जाएंगे। योजना के अनुसार, बांद्रा और सीपज़ के बीच पहला चरण दिसंबर 2021 तक और दूसरा चरण बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स से कोलाबा तक जून 2022 तक पूरा करने की योजना थी।

    मुकदमेबाजी में फंसा कारशेड

     राज्य में सरकार बदलने के साथ मेट्रो-3 के कारशेड का मामला भी अटक गया। आरे से  कांजुरमार्ग के खार लैंड पर स्थानांतरित प्लॉट कई मुकदमों फंस गया। एमएमआरडीए अब कांजुरमार्ग और आरे के अलावा कार शेड के लिए अन्य विकल्पों की तलाश कर रहा है। कांजुरमार्ग में ही एक ऐसी भूमि का सर्वे किया है जो एक निजी कंपनी के स्वामित्व में है।

    3  ट्रेनें तैयार

    मेट्रो-3 के काम में हो रही देरी और कारशेड विवाद के बीच मेट्रो के 3 रेक तैयार भी हो चुके हैं। कारशेड और पार्किंग की जगह न होने के कारण इन्हें  पिछले एक साल से आंध्र प्रदेश के श्री सिटी में रखा गया है।

    बढ़ते ही जा रही है लागत

    कारशेड और अन्य सिविल वर्क पूरा न हो पाने से आने वाले 2-3 वर्षों में संचालन शुरू हो पाना कठिन है। लगातार देरी की वजह से परियोजना लागत 10 हजार करोड़ से ज्यादा बढ़ गई है। बताया गया कि परियोजना की लागत 23,136 करोड़ रुपये से बढ़ कर 33,406 करोड़ रुपए हो गई है। देरी के साथ लागत और बढ़ने की संभावना है।