Bombay High Court
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मुंबई: झोपडपट्टी पुनर्वास परियोजना में ट्रांजिट (संक्रमण) किराए (Rent) का भुगतान करने से इनकार करना उत्पीड़न (Harassment) है। बांबे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने अपने एक फैसले में यह बात कही। हाई कोर्ट ने झोपडपट्टी पुनर्विकास प्राधिकरण (SRA Project) को उस डेवलपर को बर्खास्त करने की अनुमति दी, जिसने 300 झुग्गी-झोपड़ी वासियों को मझधार में छोड़ दिया था।

न्यायमूर्ती गौतम पटेल और न्यायमूर्ति एन. नीला गोखले की खंडपीठ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बिल्डर ने एसआरए में प्रभावित परिवार को किराया देना मना कर दिया। पीड़ित परिवारों को किराया देने के लिए मजबूर होना पड़ा। संबंधित विकासकर्ता इसके लिए जिम्मेदार है। 10 मार्च तक 4 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं करने के कारण अदालत के आदेश की अवहेलना करने के लिए डेवलपर के खिलाफ एक याचिका दायर की गई थी।

अतिरिक्त फ्लैटों की बिक्री के लिए अयोग्य

श्रीसाई पवन एसआरए को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी ने 2004 से रुकी हुई पुनर्विकास परियोजना में ट्रांजिशन रेंट के संबंध में दो सह-डेवलपर्स, एफकॉन्स डेवलपर्स और अमेय हाउसिंग को हटाने की मांग करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पिछली सुनवाई के दौरान पीठ ने आदेश दिया था कि सह-डेवलपर्स रुपए के ट्रांजिट किराए के बकाए का भुगतान करें।

10 लाख का जुर्माना देने का आदेश

पीठ ने दोनों डेवलपर्स को हटाकर एक नए डेवलपर को नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दी। इसने माल्या के खिलाफ उपक्रम के उल्लंघन के लिए अवमानना कार्यवाही शुरू करने का भी आदेश दिया और सह-डेवलपर्स को दो सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता समाज को 10 लाख रुपए का जुर्माना देने का आदेश दिया।