INS Vela

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    -अरविंद सिंह

    मुंबई: देश की सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए भारत ने विध्वंसक युद्धपोत और पनडुब्बी (Submarine) निर्माण के क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़ाए हैं। रविवार को वारशिप ‘आईएनएस विशाखापत्तन’ (INS Visakhapatnam) को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने नौसेना (Navy) को सौंपी। अब आई पनडुब्बी ‘आईएनएस वेला’ (INS Vela) की बारी। 

    स्कार्पीन डिजाइन, कलवरी श्रेणी की यह चौथी पनडुब्बी है जो 25 नवंबर को नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह नवल डॉकयार्ड में नौसेना बेड़े में शामिल करेंगे। इस युद्धपोत और पनडुब्बी से भारत की सागरीय ताकत काफी तेजी से बढ़ेगी।  हाल के वर्षों में स्कार्पीन डिजाइन की प्रोजेक्ट-75 कलवरी श्रेणी की 3 पनडुब्बियां ‘आईएनएस कलवरी’, ‘खंडेरी’ और ‘करंज’ कमीशन हो चुकी हैं।

    घातक मारक क्षमता

    इस पनडुब्बी की खासियत के बारे में बताते हुए ‘वेला’ के कैप्टन अनीश मैथ्यु ने कहा कि यह सबमरीन सभी प्रमुख बंदरगाहों और समुद्री ट्रायल्स पूरी कर चुकी है और सभी परीक्षणों में पूरी तरह खरी उतरी है। उन्होंने कहा कि इसमें सभी अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग किया गया है। मैथ्यु के अनुसार ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन का यह सबमरीन एक प्रमुख कड़ी है। उन्होंने कहा कि यह डीजल इंजन और बैटरी से संचालित है। यह स्टेल्थ सेंसर ध्वनि को काफी कम रख सकती है। ‘वेला’ पनडुब्बी दुश्मन के क्षेत्र में काफी तेजी से प्रवेश करती है और बिना भनक लगे उसके जहाज और पनडुब्बी को क्षणमात्र में तबाह करने में सक्षम है। 

     कई तरह की तकनीकों से लैस 

    ‘वेला’ स्टेल्थ और एयर इंडिपेंडेंट प्रापल्शन समेत कई तरह की तकनीकों से लैस है, जिससे इसका पता लगाना दुश्मन के लिए आसान नहीं होगा। यह टारपीडो और ट्यूब लांच्ड एंटी-शिप मिसाइल से हमला करने में सक्षम है। वेला की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह किसी भी रडार की पकड़ में नहीं आएगी। इसके अलावा इससे जमीन पर भी आसानी से हमला किया जा सकता है। इस पनडुब्बी का इस्तेमाल हर तरह के वारफेयर, ऐंटी-सबमरीन वारफेयर और इंटेलिजेंस के काम में भी किया जा सकता है। वेला खुफिया जानकारी हासिल करने, सुरंग बिछाने और एरिया सर्विलांस जैसे खासियतों से युक्त कई अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। ‘वेला’ के बाद दो और पनडुब्बियां कमीशन होंगी। अभी ‘वागीर’ और ‘वाग्शीर’ की कमीशनिंग होनी बाकी है। ‘वागीर’ को 12 नवंबर, 2020 को एमडीएल से लॉन्च किया जा चुका है और वह अपने समुद्री ट्रायल पर है।

    पनडुब्बी निर्माण में एमडीएल की तेजी

    एमडीएल ने देश के प्रमुख शिपयार्ड में से एक के रूप में अपनी प्रतिष्ठा को कायम रखा है और पनडुब्बी निर्माण राष्ट्रों के विशेष क्लब में भारत की सदस्यता को और मजबूत किया है। कैप्टन मैथ्यु ने कहा कि ‘वेला’ को पूरी तरह से मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत एमडीएल में तैयार किया गया है।

    पनडुब्बी की विशेषताएं

    • वजन    1,775 टन
    • लंबाई    67.5 मीटर
    • बीम     6.2 मीटर
    • ऊंचाई    12.3 मीटर
    • गति  सतह पर 20 किमी प्रति घंटा
    • पानी में   37 किमी प्रति घंटा
    • गहराई में जा सकती है   350 मीटर
    • स्टाफ   10 अफीसर्स, 35 सेलर्स
    • रेंज    12,000 किमी (पानी की सतह पर 15 किमी की गति से)
    • एक बार में पानी में 50 दिनों तक रह सकती है।