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पुणे: राज्य परिवहन महामंडल कर्मचारियों की हड़ताल के बाद एसटी परिवहन सेवा (ST Transport Services) अपने पहले की स्थिति में लौट आई है, लेकिन अभी भी यात्रियों (Passengers ) की संख्या में हर दिन कमी हो रही है। शहरी क्षेत्रों में चलने वाली एसटी बसों (ST Buses) की हालत खराब है। इस वजह से शहरी भाग के यात्रियों ने एसटी बस को राम-राम कह दिया हैं। बसों की संख्या कम होने की वजह से एसटी प्रशासन (ST Administration) ने ग्रामीण भागों के अधिकांश मार्गों पर बसों की फेरियां रद्द कर दी हैं। शहर में यात्री नहीं मिल रहे और ग्रामीण भागों में एसटी बसें नहीं मिलने की स्थिति बन गई है। इसका असर यात्रियों और एसटी प्रशासन पर हो रहा है।

राज्य परिवहन महामंडल की आर्थिक स्थिति और बसों की स्थिति खराब है। कुल 18 हजार एसटी बसों में से फिलहाल 12 हजार बसें ही चल रही है। 5 हजार एसटी बसों की अवधि समाप्त होने के कारण उसे सवारी सेवा से बाहर कर दिया गया, जबकि एक हजार बस देखभाल मरम्मत, आरटीओ, पुलिस और अन्य तकनीकी कार्यों की वजह से सड़क पर नहीं चल रही हैं। ऐसे में छह हजार बसें यात्रियों की सेवा में नहीं है। इसका असर यात्रियों पर हो रहा है। ग्रामीण भागों में कमाई कम होने की वजह से इन मार्गो पर बसों की फेरियों को कम किया गया है। इसका असर विद्यार्थियों, वरिष्ठ नागरिकों सहित अन्य यात्रियों पर हो रहा है।

चौकाने वाले आंकड़े आ रहे सामने

दैनिक यात्रियों की संख्या 58 लाख से घटकर 36 लाख हुई। इसी तरह से यात्रियों से होने वाली इनकम 22 करोड़ से घटकर 16 करोड़ हो गई है। दैनिक खर्च 25 करोड़ से बढ़कर 26 करोड़ हो गया है। एसटी बसों की संख्या 18 हजार से घटकर 13 हजार हुई।

पुणे विभाग की स्थिति

  • यात्रियों की संख्या: 1 लाख
  • यात्रियों से कमाई: 85 लाख
  • एसटी बसों की संख्या: 849
  • हर दिन का सफर: 2,50,000 किलोमीटर

क्यों दूर हुए यात्री

  • हड़ताल के दौरान बस सेवा बंद रही
  • प्राइवेट वाहनों से सफर करना लोगों के लिए आसान
  • एसटी बसों का दर्जा गिरा
  • खराब बसों से शहर का बुरा अनुभव
  • टिकट कीमत में 18 फीसदी की बढ़ोतरी
  • प्राइवेट वाहनों से सफर एसटी की तुलना में सस्ती