Big relief to former Mumbai Police Commissioner Parambir Singh, Supreme Court says interim protection from arrest will continue
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    -तारिक़ खान

    मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) के खिलाफ कथित 100 करोड़ रुपए की वसूली का लेटर बम (Letter Bomb) फुसका साबित हो रहा है। मुंबई (Mumbai) के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (Parambir Singh) ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) को पत्र (Letter) भेजकर आरोप लगाया था कि बतौर गृहमंत्री अनिल देशमुख ने प्रति माह 100 करोड़ रुपए के उगाही का टार्गेट दिया था। अब यह वसूली कांड वाला लेटर ‘फुसका बम’ साबित हो रहा है। इसी के साथ अनिल देशमुख के खिलाफ रची गई राजनीतिक साजिश का भी पर्दाफाश होने के संकेत मिल रहे है। 

    महाविकास विकास आघाडी (एमवीए) को गिराने और राजनेताओं को साजिश का शिकार बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल किया गया और परमबीर सिंह एक तरह से उनके लिए टूल्स की तरह काम किए, लेकिन जांच आयोग के सामने  जिस तरह शपथ पत्र देकर उन्होंने कहा है कि उनके पास कोई और सबूत नहीं है, वे आयोग के सामने हाजिर होकर बहस का हिस्सा भी नहीं बनना चाहते हैं, इससे साबित हो रहा है कि कथित तौर पर रची गई इस साजिश से अब धीरे-धीरे पर्दा उठेगा। हालांकि परमबीर सिंह के आरोपों की वजह से अनिल देशमुख की दिवाली काली हो गयी। उन्हें हिरासत में लेकर ईडी के अधिकारी लगातार पूछ ताछ कर रहे हैं।

    गिरफ्तारी की तलवार लटकी

    राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष उपस्थित हुए थे। लगभग 12 घंटों की पूछताछ के बाद ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। विशेष अदालत ने उन्हें 6 नवंबर तक ईडी की कस्टडी में भेज दिया है, लेकिन अब गिरफ्तारी की बारी पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की है और गिरफ्तारी होने के बाद वर्षों तक उनके बाहर आने की संभावना नहीं है। उनके खिलाफ करोड़ों रुपए की रंगदारी और अन्य आपराधिक मामले मुंबई और ठाणे शहर के अलावा महाराष्ट्र के अन्य जिलों में दर्ज है,इतना ही नहीं पिछले दिनों मुंबई और ठाणे शहर की अदालतों ने परमबीर सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि मुंबई के भगोड़े पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को शायद जेल जाने का डर सताने लगा है। इसलिए जांच आयोग के सामने हकीकत बयां कर मामले को ठंडा करना चाहते हैं । उल्लेखनीय है कि अनिल देशमुख के खिलाफ आरोप लगाए जाने के बाद सरकार उनके खिलाफ कड़े एक्शन के मूड में है़ उनके खिलाफ अलग-अलग जगहों पर दर्ज मामले इसके संकेत दे रहे है।

    6 नवंबर को पेश होंगे अनिल देशमुख 

    अनिल देशमुख की दीपावली से पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में सरेंडर कर दिवाली काली करना भी एक प्लान का हिस्सा हो सकता है। मुंबई के बर्खास्त पुलिस अधिकारी और परमबीर सिंह के राज़दार सचिन वझे को हिरासत में लेकर मुंबई पुलिस पूछताछ कर रही है। सूत्रों के अनुसार, मुंबई पुलिस के पूछताछ में कई ऐसे राज खुल रहे हैं, जो परमवीर को परेशानी में डालने वाले हो सकते हैं।  

    आयोग के पास कार्रवाई का अधिकार नहीं

    जांच आयोग के पास कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं होता है़ जांच आयोग सिर्फ मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देंगे, रिपोर्ट के आधार पर सरकार कार्रवाई कर सकती है़।

    जांच आयोग के सामने सबूत के साथ पेश होना जरुरी है। परमबीर सिंह ने किस बिना पर 100 करोड़ रुपए वसूली का आरोप लगाया था। सिर्फ आरोप लगाने या फिर एक लेटर लिखने मात्र से किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। इसके लिए आयोग के सामने पेश होकर ठोस सबूत देने होंगे।

    -एस. एम. शोएब, एडवोकेट, हाईकोर्ट मुंबई

    क्रिमिनल लॉ के हिसाब से बगैर सपोर्ट डोकोमेंट्री एविडेंस के लेटर की कोई वैल्यू नहीं होती है। पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर जो केस दर्ज हुआ है। वह परमबीर सिंह के लेटर की वजह से नहीं हुआ है। बल्कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मनी लांड्रिंग मामले में जांच के दौरान कुछ सस्पेंशल एविडेंस मिला है। तभी 13 घंटे की पूछताछ के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई है। परमबीर सिंह के लेटर से जांच एजेंसियों का रुख इस तरफ हुआ है।

    -वाई.सी.पवार, पूर्व संयुक्त पुलिस कमिश्नर, मुंबई