Mental Hospitals

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    -सूरज पांडे

    मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के 4 जिला मेंटल अस्पतालों (Mental Hospitals) से वर्ष 2016 से लेकर सितंबर तक 138 मानसिक रूप से बीमारी मरीज भाग गए हैं। मरीजों (Patients) का अस्पताल (Mental Hospital) से भागना यह दर्शाता है कि कही न कहीं अस्पताल की सिक्योरिटी (Security) सुस्त है। या फिर मनुष्यबल की कमी के कारण यह घटनाएं हो रही है। आमतौर पर यह सुनने में आता है कि सरकारी अस्पताल में कई बार इलाज से नाखुश मरीज बिना किसी से बताए ही अस्पताल से फुर्र हो जाता है। तो कई बार वह डॉक्टरों की सलाह के खिलाफ जाकर डिस्चार्ज ले लेते हैं, लेकिन मानसिक बीमारियों से ग्रसित लोगों को कई बार यह समझ नहीं होती कि वे क्या कर रहे हैं। 

    इलाज के लिए अचानक से उन्हें घर से अस्पताल में शिफ्ट करने पर कई बार उन्हें यह बात ठीक नहीं लगती। वे हमेशा प्रयत्न करते हैं कि उन्हें अस्पताल से आजाद होना है, लेकिन अस्पताल प्रशासन की यह जिम्मेदारी बनती है कि उनका ध्यान दिया जाए, लेकिन अस्पताल से मरीजों का यूं भाग जाना कहीं न कहीं अस्पताल प्रशासन की सुस्त या लापरवाही को दर्शाता है। स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों पर नजर डाले तो ठाणे, पुणे, नागपुर और रत्नागिरी के मेंटल अस्पताल से 6 साल में 138 मरीज भाग गए हैं। पुणे मेंटल अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि कई बार मरीज घर जाना चाहते है, लेकिन परिवार वाले उन्हें लेकर नहीं जाते हैं, ऐसे मरीज ताक में रहते है और मौका पाते ही अस्पताल से भागा जाते हैं। 

    यह आंकड़े चिंताजनक: डॉ. साधना तायड़े

    इस संदर्भ में डायरेक्टरेट ऑफ हेल्थ एंड सर्विसेस की निदेशक डॉ. साधना तायड़े ने कहा कि यह आंकड़े चिंताजनक है और जल्द से जल्द मामले की जांच की जाएगी ताकि ऐसी घटनाओं फिर न हो।

    पुणे से भागे 125 मरीज

    राज्य के 4 मेंटल अस्पतालों में से सबसे अधिक मरीज पुणे के अस्पताल से भागे हैं। 2016-17 में 25, 2017-18 में 40, 2018-19 में 27, 2019-20 में 10 और 2020- 21 सितंबर तक 13 मरीज भाग गए हैं। इसके उक्त काल में नागपुर से 10 मरीज, रत्नागिरी से 2 मरीज और ठाणे से 1 मरीज भाग है। इसमें अधिकतर मरीज साइकोसिस, सिजोफ्रेनिया, बाइपोलर इफेक्टिव डिसऑर्डर सहित अन्य बीमारी से ग्रसित हैं।

    26 मरीज कहां गए पता नहीं

    अस्पतालों से भागे 125 मरीजों में से 105 मरीज जिंदा मिले, लेकिन 26 मरीज कहां गए इसका पता न अस्पताल को है न घर वालों को। पुणे के 16 और नागपुर के 10 मरीज हैं जो अस्पताल से भागे हैं, लेकिन कहां गए पता नहीं।

    ठाणे में 5 और पुणे में 3 ने किया सुसाइड

    अस्पताल से भागने के अलावा ठाणे मेंटल में 5 मरीज और पुणे में 3 ने सुसाइड भी किया है। ठाणे में 2018-19 में 1, 2019-20 में 2 और 2020- 21 में सितंबर तक 2 मरीज ने आत्महत्या की है। जबकि पुणे में 2017-18 में 1 और 2019-20 में 2 मरीज ने सुसाइड किया है।

    मरीजों की सेफ्टी और सुरक्षा के मद्देनजर अस्पतालों में सीसीटीवी इंस्टॉल किया जा रहा है। इसी के साथ अस्पतालों में सिक्योरिटी गार्ड भी नियुक्ति की जा रही है। इसके अलावा भी सिक्योरिटी को दुरुस्त करने के लिए उपाय योजना किए जा रहे हैं।

    -डॉ. साधना तायड़े, संयुक्त निदेशक, डायरेक्टर ऑफ हेल्थ एंड सर्विसेस

    मरीज क्या कर रहे उनकी गतिविधियों पर ध्यान रखने के लिए स्टॉफ को ट्रेनिंग दी जाती है। कई मरीज लॉक रहते हैं। मरीज अपने आप को भी नुकसान न पहुंचाए इसलिए कोई भी धार - दार (कांच) वस्तु नहीं रखी जाती है। सबसे अहम है मनुष्यबल यदि वो कम है तो मरीज इसका फायदा जरूर उठाएंगे। इसलिए सुरक्षा उपायों पर अधिक जोर देने की जरूरत है।

    -डॉ. सागर मूंदड़ा, मनोरोग चिकित्सक