Praja Foundation

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    मुंबई: बीएमसी (BMC) संचालित स्कूलों में 10 वर्षों में छात्रों के नामांकन में 3 फीसदी की कमी आई है। प्रजा फाउंडेशन (Praja Foundation) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ किया गया। प्रजा फाउंडेशन के योगेश मिश्रा ने बताया कि वैसे मुंबई के सभी स्कूलों (सरकारी और गैर सरकारी) में छात्रों के नामांकन में बीएमसी स्कूल छात्रों का अनुपात 2012-13 में 45% था, जो 2018-19 में घटकर 36% हो गया। कोविड के बाद इसमें थोड़ी वृद्धि हुई, जो बढ़कर 42% (6% की वृद्धि) देखी गई। इस बढ़ोतरी के बावजूद 10 वर्षों में कुल 3 प्रतिशत छात्रों की कमी आई है।

    खास बात यह कि मुंबई में महानगरपालिका के हिंदी स्कूलों में इन 10 वर्षों में 5 प्रतिशत की कमी आई है। हिंदी माध्यम में 2012-13 में 1,37,315 छात्र थे, जो 10 वर्षों में घटकर 2021-22 में 76,990 हो गए। कोविड काल से पूर्व तेजी से गिरावट देखी गई थी। 2012-13 (1,37,315) से 2018-19 में घटकर 81,431 यानि 41% छात्रों की कमी आई थी, लेकिन कोविड काल के बाद थोड़ी वृद्धि देखी गई। 2019-20, कोविड काल में 76,861 हिंदी माध्यम के छात्र थे, जो 2020-21 में घटकर 68,149 हुए, लेकिन कोविड काल के बाद 2021-22 में बढ़कर 76,990 हो गए, फिर भी कुल 10 वर्षों में 5 प्रतिशत की गिरावट देखी गई।

    अंग्रेजी माध्यम में सबसे बढ़े छात्र

    बीएमसी स्कूलों में सबसे ज्याद वृद्धि इंग्लिश मीडियम स्कूलों के छात्रों की वृद्धि हुई है। अंग्रेजी माध्यम में सबसे अधिक 27 प्रतिशत छात्रों की वद्धि हुई है। 2012-13 में 79,884 छात्र थे, जो 2021-22 में बढ़कर 1,01,110 हो गए। इसी के साथ बीएमसी के अन्य माध्यमों के स्कूलों में मराठी माध्यम में 2 प्रतिशत और उर्दू स्कूलों में 2 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। गुजराती माध्यम के स्कूलों में छात्रों के नामांकन में 3 प्रतिशत कमी रही। सबसे ज्यादा गिरावट तेलगु माध्यम के स्कूलों में छात्रों की रही, इसमें 25 प्रतिशत छात्र कम हुए। इसी प्रकार कन्नड़ में 19 प्रतिशत और तमिल स्कूलों में 16 प्रतिशत छात्र 10 वर्षों में कम हुए।

    स्कूल विकास योजना करें तैयार

    प्रजा फाउंडेशन के सीईओ मिलिंद म्हस्के ने कहा कि आरटीआई अधिनियम में उल्लेखित है कि स्कूल प्रबंधन समिति को स्कूल विकास योजना तैयार करनी चाहिए और इसे सरकार के समक्ष प्रस्तुत कर अपनी समस्याओं का समाधान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बीएमसी की शिक्षा प्रणाली में पूर्ण सुधार के लिए ज्यादातर बैठकें करनी आवश्यक हैं।

    शिक्षक और छात्रों के अनुपात में अंतर

    योगेश मिश्रा ने कहा कि शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार छात्र-शिक्षक अनुपात 30:1 होना चाहिए, लेकिन बीएमसी के अंग्रेजी माध्यम स्कूलों (2021-22) में यह अनुपात 41:1 हो गया, जो यह दर्शाता है कि छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की कमी है। इस समस्या का समाधान खोजना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि स्कूल के शिक्षा विकास के लिए वित्त की कमी नहीं होनी चाहिए। साथ ही स्कूल के स्ट्रक्चर से संबंधित समस्याओं का भी शीघ्र समाधान हो, ताकि छात्रों के सुचारु अध्ययन में कोई कमी न आने पाए।