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    मुंबई : महाराष्ट्र (Maharashtra) में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के रद्द करने से सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के बाद राज्य की राजनीति (Politics) में उबाल आ गया है। वहीं अब इस मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र विकास आघाडी में शामिल नेताओं के अलावा प्रमुख विपक्षी दल आंदोलन (Agitation) करने पर उतारु हो गए है।

    ओबीसी आरक्षण के हाथ से निकल जाने का ठीकरा आघाडी सरकार के नेता और बीजेपी एक-दूसरे पर फोड़ रही है। वहीं कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल ने कहा है कि अब ओबीसी आरक्षण को लेकर आंदोलन करने के सिवा कोई विकल्प नहीं है।

    कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि राज्य सरकार ने 50 फीसदी के अंदर ओबीसी आरक्षण को लेकर अध्यादेश जारी किया था। उस समय सभी दलों के प्रतिनिधि मौजूद थे। लेकिन बीजेपी के एक कार्यकर्ता को सुप्रीम कोर्ट भेज दिया गया और अध्यादेश को टाल दिया गया। केंद्र सरकार की ओर से हलफनामा देकर यह कहा गया है कि हम इम्पेरिकल डेटा नहीं दे सकते है। यह साफतौर से ओबीसी आरक्षण को खत्म करने को लेकर बीजेपी और आरएसएस की साजिश है।  

    चुनाव कराए जाने चाहिए

    राज्य सरकार ने पिछले दो साल से सिर्फ केंद्र पर उंगली उठाई है। अगर महाविकास अघाड़ी सरकार ने इन दो वर्षों में ओबीसी आरक्षण के लिए वास्तव में प्रयास करते हुए इम्पेरिकल डेटा को संकलित किया होता तो आज ओबीसी आरक्षण को खोने का समय नहीं आता। राज्य सरकार को अगले तीन महीने के भीतर आंकड़े तैयार करने की पहल करनी चाहिए। हम उनका सहयोग करेंगे। मेरी मांग है कि ओबीसी आरक्षण का मुद्दा सुलझने के बाद ही चुनाव कराए जाने चाहिए।

    - देवेन्द्र फडणवीस, नेता विपक्ष

    आंदोलन के अलावा कोई विकल्प नहीं है

    केंद्र के पास ओबीसी आरक्षण का डेटा नहीं था, तो देवेन्द्र फडणवीस ने उस समय केंद्र से किस तरह के डेटा की मांग की थी। उस समय, केंद्र ने क्यों नहीं बताया कि डेटा गलत था। लेकिन अब केंद्र एक ही बात कह रही है, अब हमारे पास आंकड़े नहीं है। मुझे लगता है कि अब आंदोलन के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

    - छगन भुजबल, कैबिनेट मंत्री

    ओबीसी को भारी नुकसान हुआ है

    ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर सरकार की अज्ञानता, अहंकार और घोर अवहेलना की वजह से यह धक्का लगा है। अब स्थानीय निकाय चुनाव स्थगित कर देना चाहिए। राज्य सरकार को ओबीसी आरक्षण पर एक आपातकालीन अधिवेशन बुलाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ओबीसी को भारी नुकसान हुआ है।

    - पंकजा मुंडे, पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता

    केंद्र सरकार झूठ बोल रही है

    साल 2016 में केंद्र सरकार ने संसद में कहा था कि 98.47 फीसदी डेटा सही है। उसके बाद अब साल 2021 में केंद्र सरकार कह रही है कि यह डेटा गलत है और यह काम नहीं आएगा। ऐसे में क्या सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार झूठ बोल रही है।

    - जितेंद्र आव्हाड, कैबिनेट मंत्री