महाराष्ट्र में शोधपरक मेडिकल शिक्षा को बढ़ावा: डॉ. माधुरी कानिटकर

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    मुंबई/ नासिक:  शोध पर आधारित गुणवत्तापूर्ण मेडिकल शिक्षा (Medical Education) को बढ़ावा देते हुए महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (एमयूएचएस) ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छलांग लगाई है। एमयूएचएस (MUHS) की वाइस चांसलर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ. माधुरी कानिटकर (Vice Chancellor Dr. Madhuri Kanitkar) के नेतृत्व में शुरू किए गए उपक्रमों से राज्य में चिकित्सा शिक्षा को नई दिशा मिली है। 

    एमयूएचएस की वाइस चांसलर डॉ. माधुरी कानिटकर स्वयं राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय रूप से चिकित्सा शिक्षा से जुड़ीं रहीं हैं। देश के प्रतिष्ठित आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज, पुणे की डीन रह चुकीं लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. माधुरी कानिटकर ने कहा कि मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ छात्र और समाज के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए एमयूएचएस के माध्यम से विभिन्न उपक्रम शुरू किए गए  हैं।

    अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने का लक्ष्य

    डॉ. माधुरी कानिटकर के अनुसार, नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत मेडिकल शिक्षा में भी डिजिटल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है। देश में स्वास्थ्य शिक्षा का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, इसके लिए योजनाएं बनाई गईं हैं। विश्वविद्यालय के कुलाधिपति राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और राज्य  चिकित्सा शिक्षा मंत्री अमित देशमुख के मार्गदर्शन में वाइस चांसलर लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. माधुरी कानिटकर देश और राज्य के हेल्थ सेक्टर में परिवर्तन लाने का कार्य कर रही हैं। कोरोनाकाल की विपरित परिस्थितियों में भी एमयूएचएस ने मेडिकल की सभी परीक्षाओं को पारदर्शी तरीके से ऑफ़लाइन संपन्न कराया।  

    450 से अधिक कॉलेज

    राज्य भर में 450 से अधिक मेडिकल कॉलेज एमयूएचएस से संबद्ध हैं। 3 जून 1998 को स्थापित एमयूएचएस नाशिक के मुंबई, पुणे, नागपुर, औरंगाबाद, कोल्हापुर, लातूर में संभागीय केंद्र हैं। एलोपैथ, दंत चिकित्सा, आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, नर्सिंग के साथ पैरामेडिकल शिक्षा के माध्यम से महाराष्ट्र में बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी स्वास्थ्य क्षेत्र में डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ बनाने में एमयूएचएस योगदान दे रहा है।

    इंटरनेशनल एजूकेशन हब

    डॉ. माधुरी कानिटकर ने बताया कि यूक्रेन में युद्ध की स्थिति के कारण मेडिकल छात्रों को किसी भी शैक्षिक नुकसान से बचने के लिए विद्यापीठ और इल्सेवियर संस्था के माध्यम से  डिजिटल कंटेंट उपलब्ध कराया गया है। इसके तहत छात्र वैकल्पिक और ऑनलाइन शिक्षा ले रहे हैं। संस्थानों के साथ समझौता कर एमयूएचएस स्वास्थ्य शिक्षा और अनुसंधान पर काफी काम कर रहा है। छात्रों के लिए ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप गतिविधियां शुरू की हैं।

    इंट्रीगेटेड हेल्थ पर काम

    कुलगुरु डॉ. माधुरी कानिटकर ने कहा कि कोरोनाकाल में महाराष्ट्र में मेडिकल क्षेत्र में इंट्रीगेटेड कार्य हुआ। सभी पैथी की अपनी उपयोगिता है और राज्य में इसे बढ़ावा दिया गया है। इंट्रीगेटेड हेल्थ केयर डॉक्यूमेंट तैयार किया जा रहा है। डॉ. कानिटकर के अनुसार एमयूएचएस द्वारा “कोरेस्पोंडेंट स्कूल ऑफ़ इंट्रीगेटेड हेल्थ” को लेकर सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। अंगदान के लिए समाज में प्रोत्साहन, जन जागरूकता, महिला सशक्तिकरण,लैंगिक असमानता दूर करने विभिन्न पहल की गई है।

    पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट को मंजूरी

    सरकार ने एमयूएचएस परिसर में एक पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कॉलेज और अनुसंधान संस्थान को मंजूरी दी है। नासिक सिविल अस्पताल के भवन को पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कॉलेज के लिए अस्थायी रूप से उपलब्ध कराया गया है। लगभग 100 छात्रों की प्रवेश क्षमता और उससे जुड़े 430 बिस्तरों वाला एक नया मेडिकल कॉलेज स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा 15 विषयों में 64 नए स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम उपलब्ध होंगे। डॉ. कानिटकर के अनुसार इससे मेडिकल सीटें बढ़ने के साथ नासिक संभाग के मरीजों को काफी फायदा होगा।

    कुलगुरु कट्टा की शुरुआत

    वाइस चांसलर डॉ. माधुरी कानिटकर की संकल्पना से कुलगुरु कट्टा की शुरुआत की गई, जिससे मेडिकल के विद्यार्थी अपनी समस्या को लेकर सीधे कुलगुरु से संपर्क कर सकें। कुलगुरु डॉ. कानिटकर ने बताया कि इसका अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। ई-मेल के माध्यम से प्राप्त छात्रों और शिक्षकों की समस्याओं, शिकायतों और सुझावों पर विश्वविद्यालय द्वारा ध्यान दिया जाता है। छात्रों की पहचान गुप्त रखी जाती है। कुलगुरु स्वयं छात्रों का मार्गदर्शन कर उनका फीडबैक लेती हैं।

    ‘ग्रीन कैंपस’ पहल शुरू की गई

    डॉ. माधुरी कानिटकर के अनुसार, एमयूएचएस के माध्यम से मेडिकल शिक्षा में सकारात्मक और दृष्टिगत कार्य का लक्ष्य है। विभागवार रोगों और समस्यायों पर शोध के लिए लैब आदि सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। ओमिक्रोन के मरीजों की संख्या हर जगह बढ़ी, लेकिन मालेगांव में काफी कम है, इस संबंध में विश्वविद्यालय के संबद्ध कॉलेजों के शिक्षकों, छात्रों की टीम शोध कर रही है। लातूर में पानी से संबंधित रोगों पर शोध और पुणे में आनुवंशिकी, इम्यूनोलॉजी, जैव रसायन के लिए लैब बनाई गई है। नागपुर में भी शोध पर ध्यान दिया जा रहा है। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव पहल के तहत पर्यावरण संरक्षण के लिए एमयूएचएस में ‘ग्रीन कैंपस’ पहल शुरू की गई। विद्यापीठ ने राज्य के सभी संबद्ध महाविद्यालय परिसरों में लगभग 75,000 पौधे लगाने का निर्णय लिया है।