Skywalk in Mumbai

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    मुंबई: सैकड़ों करोड़ों रुपए खर्च कर मुंबई एमएमआर (Mumbai MMR) में कई स्थानों पर बनाए गए स्काईवॉक (Skywalk) की उपयोगिता को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि एमएमआरडीए (MMRDA) के माध्यम से स्टेशन या रोड से पैदल चलने वालों की सुविधा के लिए स्काईवॉक परियोजना शुरू की गई थी। पहला स्काईवॉक 2008 में बांद्रा पूर्व से कलानगर (Bandra East to Kalanagar) तक बनाया गया था। जो इस समय जर्जर हो चुका है।

    मुंबई में स्टेशनों के आसपास कुल 36 स्काईवॉक बनाए गए हैं। इनमें एमएमआरडीए ने 28 स्काईवॉक का निर्माण किया और एमएसआरडीसी के माध्यम से 8 स्काईवॉक बनें। बताया गया कि स्काईवॉक बनाने में एमएमआरडीए ने लगभग 700 करोड़ रुपए खर्च किए, यही नहीं बल्कि वार्षिक रखरखाव के लिए करोड़ों रुपए की राशि दी गई। इनमें आज ज्यादातर स्काईवॉक का उपयोग ही नहीं हो रहा है। शुरू में कई स्थानों पर स्काईवॉक प्रोजेक्ट्स का स्थानीय निवासियों और दुकानदारों ने विरोध किया।

    गुणवत्ता पर सवाल

    पिछली सरकार में राज्य के तत्कालीन कैबिनेट और पालकमंत्री असलम शेख ने मुख्यमंत्री को पत्र देकर स्काईवॉक के कार्यों की समीक्षा किए जाने की मांग की थी। स्काईवॉक के निर्माण की गुणवत्ता पर भी सवाल उठते रहे हैं। स्काईवॉक पर कॉब्स, पेवर ब्लॉक उखड़ गए हैं, लोहे के गर्डर जंग खा चुके हैं।वै से कुछ स्काईवॉक को फिर से बनाने की योजना है।

    असामाजिक तत्वों के अड्डे

    स्काईवॉक दक्षिण मुंबई से वसई-विरार, ठाणे कल्याण, बदलापुर, नवी मुंबई तक बनाए गए थे। कुछ जगहों पर इनका उपयोग हो रहा है, जबकि कई स्काईवॉक ड्रग पेडलर्स और असामाजिक तत्वों के अड्डे बन गए हैं। उन पर जानवर घूमते रहते हैं। अधिकारियों का कहना है कि एमएमआरडीए ने अच्छे इरादों के साथ स्काईवॉक का निर्माण किया, लेकिन यह परियोजना उतनी सफल नहीं रही। कई स्थानों पर मेट्रो या अन्य इन्फ्रा कार्यों के चलते उन्हें हटाना पड़ा। मलाड (ई) में पोद्दार रोड पर एक स्काईवॉक बनाने की बीएमसी की योजना पर रोक लगा दी थी। बांद्रा ईस्ट में स्काईवॉक का लोहा तक चोर उठा ले गए। ठाणे पूर्व में बने स्काईवॉक का कोई उपयोग नहीं हुआ।

    सफेद हाथी साबित हुआ

    मुंबई में बने स्काईवॉक की व्यवहार्यता पर आईआईटी-बॉम्बे या वीजेटीआई द्वारा अध्ययन किए जाने की बात भी होती रही है। करोड़ों रुपए खर्च कर बोरीवली में बने स्काईवॉक का कोई उपयोग नहीं हो रहा है। चर्चा है कि मुंबई में कई स्काईवॉक सफ़ेद हाथी साबित हुए और एमएमआरडीए और बीएमसी का करोड़ों रुपए पानी में डूब गया। मुंबई में सभी स्काईवॉक को रखरखाव के लिए एमएमआरडीए द्वारा बीएमसी को स्थानांतरित कर दिया गया। स्काईवॉक का रखरखाव और मरम्मत की जिम्मेदारी संबंधित महानगरपालिका को दी गई है।