RAUT
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    मुंबई: आमतौर से रोजाना कई मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखने वाले शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत (Shiv Sena Spokesperson Sanjay Raut) ने एक ट्वीट (Tweet) कर सबको चौका दिया है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी मौन सबसे अच्छा उत्तर होता है। राउत ने अपनी ट्वीट में जो फोटो पोस्ट की है, उसके बैकग्राउंड में शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे नजर आ रहे हैं। उनकी इस मौन व्रत को लेकर शिवसेना  (Shiv Sena) के अंदर बेचैनी बढ़ गई है। आखिर ऐसी क्या वजह है कि पार्टी का मुख्य प्रवक्ता मौन रहने की बात कर रहा है। 

    राउत, आमतौर से बीजेपी (BJP) नेताओं के खिलाफ बोलने से किसी तरह का गुरेज नहीं करते हैं। ऐसे में क्या पार्टी के अंदर से उन पर कोई दबाव है या फिर शिवसेना अध्यक्ष और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) के रवैए को लेकर कोई बात है।

    शिवसेना नेताओं पर हुई कार्रवाई पर सीएम आक्रामक नहीं  

    केंद्रीय जांच एजेंसियों ने सबसे पहले महाविकास आघाडी में शामिल एनसीपी नेताओं को घेरना शुरू किया था। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने केंद्रीय जांच एजेंसियों की आलोचना तो की, लेकिन उतने मुखर रूप से खुल कर सामने नहीं आए। वहीं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले ढाई साल में शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक के अलावा सांसद भावना गवली, आनंद राव अड्सुल और अर्जुन खोतकर जैसे नेताओं को घेर चुकी है। वहीं, अब उनके निशाने पर मुख्यमंत्री के बेहद करीबी परिवहन मंत्री अनिल परब और संजय राउत भी है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री ठाकरे ने कभी खुल कर केंद्रीय जांच एजेंसियों के बारे में नहीं बोला।

    रिश्तेदार पर हुई कार्रवाई के बाद सीएम भड़के

    शिवसेना नेताओं पर हुई कार्रवाई पर अब तक मुख्यमंत्री ठाकरे का रुख नरम था, लेकिन जैसे ही ईडी ने उनकी पत्नी के भाई की सम्पति को जब्त किया, पूरा ठाकरे परिवार तिलमिला उठा। मुख्यमंत्री उद्धव ने महाराष्ट्र विधान मंडल के बजट सत्र के दौरान इस कार्रवाई को लेकर बीजेपी के खिलाफ अपनी भड़ास निकालते हुए यहां तक कह दिया कि वे जेल जाने के लिए भी तैयार हैं। जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री ठाकरे ने जिस तरह अपने रिश्तेदार पर हुई कार्रवाई के बाद आक्रामक स्टैंड लिया, उस तरह का रवैया शिवसेना के बाकी नेताओं पर हुई कार्रवाई के दौरान देखने को नहीं मिला है। इस बात को लेकर शिवसेना के अंदर नाराजगी पनप रही है। राजनीतिक हलकों में भी राउत के मौन रहने के बयान को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है। आघाड़ी में शामिल बाकी दलों के नेता भी उनके बयान को लेकर असमंजस हैं। आखिर बीजेपी नेताओं के खिलाफ आग उगलने वाले राउत मौन रहने की बात क्यों कर रहे हैं। इसका असली खुलासा आने वाले दिनों में खुद राउत ही कर सकते हैं।  

    शिवसेना नेताओं से बनाई दूरी

    मुख्यमंत्री ठाकरे पिछले ढाई साल से शिवसेना नेताओं से दूरी बनाए हुए हैं। पहले तो कोरोना की वजह से संवाद कम रहा। वहीं अब बीमारी की वजह से भी उद्धव अपने नेताओं से दूर हैं। हाल के बजट सत्र के दौरान शिवसेना के दो अहम नेता सुभाष देसाई और दिवाकर रावते विधान परिषद से सेवानिवृत हुए, लेकिन इस दौरान सदन में मौजूद रहने के बावजूद मुख्यमंत्री ठाकरे ने इन सदस्यों के बारे में कुछ नहीं कहा, जबकि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने अपने संबोधन में कहा कि शिवसेना के गठन में शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के साथ सुभाष देसाई और रावते की अहम भूमिका थी। उद्धव की अपने नेताओं के साथ इस कम्युनिकेशन गैप की वजह से भी शिवसेना के अंदर बेचैनी ज्यादा है।