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    मुंबई:  एक ओर ओमीक्रोन (Omicron) के खतरे को देखते हुए मुंबई (Mumbai) में प्राथमिक स्कूल (Schools) शुरू करने को लेकर संभ्रम की स्थिति बनी हुई है। वहीं दूसरी ओर पीडियाट्रिक टॉस्क फ़ोर्स स्कूल शुरू करने को लेकर अपने मत पर कायम है, बशर्ते यदि स्कूलों में कोविड प्रोटोकॉल (Covid Protocol) का पालन हो पाए तो। ऐसे में अब सरकार और स्थानीय प्रशासन पर निर्भर करता है कि वे क्या निर्णय लेते हैं। एमएमआर (MMR) को छोड़ 1 दिसंबर से राज्य में लगभग सभी जिलों में पहली कक्षा से लेकर कॉलेज खुल चुके हैं। ओमीक्रोन के खतरे को देख मुंबई में पहली से सातवीं की क्लास स्कूल शुरू करने के निर्णय को 15 दिसंबर तक टाल दिया गया है। अब स्कूल खुलेंगे या नहीं यह देखना होगा। 

    पीडियाट्रिक टॉस्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ. सुहास प्रभु ने कहा कि  बच्चों के हित को देखते हुए हमने स्कूल शुरू करने का सुझाव सरकार को दिया, अब भी हम उस पर कायम है, लेकिन स्कूल कोविड दिशा-निर्देशों का पालन कर सकें तो। अब यह सरकार को निर्णय लेना होगा कि स्कूल शुरू करना है या नहीं। शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा ‘मुंबई में फिलहाल स्कूल न शुरू किए जाए तो ठीक होगा, वायरस का नया वेरिएंट है जिसके बारे में हमें अधिक जानकारी नहीं है। ऐसे में एक भी बच्चे के साथ कुछ गलत होता है तो प्रशासन और सरकार पर कलंक लग जाएगा।

    स्कूल शुरू होने चाहिए थे, लेकिन ओमीक्रोन ने अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है। अब भी बच्चों को स्कूलों भेजने के लिए सभी ने स्कूल बस शुरू नहीं किया है। वैसे भी सरकार को 15 से स्कूल शुरू कर कोई फायदा नहीं क्योंकि क्रिसमस की छुट्टी शुरू हो जाएगी। ऐसे में अभिभावक भी अभी वेट एंड वॉच कर रहे हैं और जनवरी के बाद ही मौजूदा परिस्थिति को देख कर अपना मन बना पाएंगे।

    -अनुभा सहाय, अध्यक्ष, इंडिया वाइड पैरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष

    नया वेरिएंट घातक है या नहीं यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है। ऐसे में मुंबई में तो फिलहाल स्कूल शुरू नहीं होने चाहिए। यदि परिस्थिति ठीक रही नए वर्ष में हम प्राथमिक स्कूल शुरू करें तो बेहतर होगा।

    -सुभाष मोरे, कार्याध्यक्ष, शिक्षक भारती संघ

    वायरस को समझने 2 महीने लगेंगे

    सोमवार को महाराष्ट्र टॉस्क फोर्स की बैठक हुई, जिसमें डॉक्टरों ने यह स्पष्ट किया है कि ओमिक्रॉन वायरस कितना तेजी से फैलता है? कितना घातक है ? क्या ये डेल्टा से भी खतरनाक है ? इस पर कुछ कहना जल्द बाजी होगी। कम से कम डेढ़ से दो महीने में पता चलेगा कि यह नया वेरिएंट घातक है या नहीं। फिलहाल यह वायरस विदेश से आए लोगों या उनके संपर्क में आए लोगों में मिला है।