मीरा-भायंदर में बिना कचरा निकाले ही नाला सफाई पूरी!

    Loading

    भायंदर: बरसात से पहले नाला सफाई (Drain Cleaning) के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। जिन नालों में मैंग्रोव के पौधे (Mangrove Plants) हैं, उनमें हाथ नहीं डाला जा रहा है। मुर्धा खाड़ी नाला की सफाई पूरी कर ली गई है, जबकि पूरा नाला कचरे से पटा हुआ है। मुर्धा गांव, मूर्धा झोपड़पट्टी, जय बामनदेव नगर से बरसात का पानी (Rain Water) इसी नाले से होकर खाड़ी में जाता है। 

    नाले में कहीं-कहीं मैंग्रोव के पौधे हैं और ये पौधे काटना कानूनन अपराध है। इसलिए ऐसे नालों को बोट की मदद से साफ किया जाता है। इसमें मजदूर और मेहनत दोनों ज्यादा लगती है। इससे बचने के लिए ठेकेदार ऐसे नालों छूता तक नहीं है। नाला सफाई के नाम पर दार्शनिक भाग को साफ कर सफाई पूरी कर ली जाती है। नतीजतन जब बरसात होती है तो शहर डूबता है। 

    की थी शिकायत पर नहीं हुई सफाई

    मुर्धा खाड़ी झोपड़पट्टी के निवासी चंद्रशेखर चौहान कहते हैं कि पिछली बार भी हमनें इसकी शिकायत मीरा-भायंदर महानगरपालिका से की थी, अखबारों में खबर भी छपी थी, लेकिन नाला साफ नहीं हुआ। बरसात हुई तो नाला का गंदा और बदबूदार काला पानी हमारे घरों में भर गया। इस बार भी ऐसा ही होने का डर हमें सता रहा है। महेंद्र भारती ने कहा कि बरसात तो छोड़ दीजिए, दूसरे मौसम में भी नाले के आस-पास की गलियों में नाले का पानी कभी-कभी भर जाता है।

    जिन नालों में मैंग्रोव के पौधे हैं, उन्हें पौधों को बिना नुकसान पहुंचाए बोट या बोट पोकलेन की मदद से पूरी तरह साफ किया जाएगा।

    -रवि पवार, उपायुक्त, मीरा-भायंदर महानगरपालिका