पेयजल संकट पर शिवसेना ने किया मटकी फोड़ो आंदोलन

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    भायंदर : मीरा-भायंदर (Mira-Bhayander) में जारी पेयजल संकट (Drinking Water Crisis) को राजनीतिक मोड़ दिया जा चुका है। सोमवार को विपक्षी दल शिवसेना (Shiv Sena) ने दो प्रभाग कार्यालयों के बाहर मटकी फोड़ो आंदोलन किया। वहीं 21 अक्टूबर को सत्तापक्ष भाजपा (BJP) अंधेरी में एमआईडीसी (MIDC) कार्यालय पर धरना देने वाली है। शिवसेना राज्य में सरकार में है और मीरा-भायंदर में विपक्ष में है। 

    वहीं, भाजपा मीरा-भायंदर में सत्ता में है और राज्य में विपक्ष में है। मीरा-भायंदर में पेयजल संकट पर पक्ष-विपक्ष आमने-सामने हैं। दोनों पानी संकट के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहीं हैं। शिवसेना का कहना है कि भाजपा मीरा-भायंदर में सत्ता में और अपनी चुनावी घोषणा पत्र में 24 घंटे पानी देने का वादा किया था। आज 24 घंटे में भी पानी नहीं दे पा रही है। वहीं भाजपा का कहना है की एमआईडीसी राज्य सरकार के अधीन आती है। वहां से ज्यादा पानी नहीं छोड़ा जा रहा है, इसलिए पेयजल संकट के लिए राज्य की शिवसेना सरकार जिम्मेदार है।

    छह माह से पानी की किल्लत 

    सोमवार को पत्रकार परिषद में भाजपा के पूर्व विधायक नरेंद्र मेहता ने कहा कि मीरा-भायंदर में छह माह से पानी की किल्लत बनी हुई है। बांधों की ऊंचाई भी बढ़ चुकी है और इस साल अच्छी बारिश होने के कारण वह लबालब भरा हुआ है। फिर भी पानी कम क्यों आता है? एमआईडीसी से 135 एमएलडी पानी मंजूर है। उसमें से औसतन प्रतिदिन 100 एमएलडी पानी ही मिल रहा है। 30 दिन में से 5-7 दिन पानी की आपूर्ति बंद रहती है। इस हिसाब से 2500 से 2300 एमएलडी ही पानी प्रतिमाह मिल पा रहा है, जबकि महीने में 4050 एमएलडी पानी मिलना चाहिए। देखा जाए तो करीब 50 फीसदी पानी की कटौती चल रही है। जिस दिन पानी बंद रहता है, उसके अगले दिन ज्यादा पानी क्यों नहीं छोड़ा जाता है? मेहता ने सवाल किया कि शिवसेना विधायक गीता जैन और प्रताप सरनाईक उद्योग मंत्री से ज्यादा पानी छोड़ने की मांग करते है। मतलब वे मानते हैं कि एमआईडीसी कम पानी छोड़ रही है। उन्होंने आरोप लगाया की 2017 के बाद पानी का कोटा नही बढ़ा है। उल्टे कम हो गया है। उन्होंने दावा किया कि एमआईडीसी की पाइपलाइन में 175 एमएलडी पानी लाने की क्षमता है।