Maharashtra ST Strike

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    मुंबई: एसटी कर्मचारियों (ST Employees) की राज्यभर में जारी हड़ताल (Strike) अधिक तीव्र हो गई है।  हड़ताल न करने के मुंबई हाईकोर्ट (Mumbai High Court) के आदेश के बावजूद निगम के कर्मचारियों के हड़ताल पर अड़े होने से ऐन दीपावली (Diwali) की छुट्टियों के मौके पर यात्री बेहाल हो गए हैं। महाराष्ट्र की जीवनरेखा कही जाने वाली एसटी के पहिए थमने से राज्य के ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में लोगों के यातायात पर गंभीर असर पड़ा है।

    दीपावली के 4 दिन पहले से ही शुरू हुए एसटी कामगारों के आंदोलन को लेकर कोई निर्णय न लिए जाने पर मुंबई हाईकोर्ट में राज्य सरकार की भी किरकिरी हुई है। हाईकोर्ट ने हड़ताल को लेकर सोमवार को भी सुनवाई करते हुए कहा कि कर्मचारियों की जायज मांगो को लेकर सरकार तत्काल विचार करे। सरकार की तरफ से कहा गया कि राज्य सरकार कर्मचारियों  की मांगों पर चर्चा के लिए एक अध्ययन समिति का गठन करेगी। राज्य सरकार की ओर से लिखित आश्वासन के बाद भी एसटी मजदूर संघों ने हड़ताल जारी रखने का स्टैंड लिया है। एसटी कर्मचारियों की हड़ताल में मनसे के साथ इंटक और अन्य संगठन भी शामिल हो गए हैं। बताया गया कि मनसे ने अपने संगठन के कार्यकर्ताओं को भी आंदोलन में उतरने को कहा है। इससे आंदोलन अधिक तीव्र हो गया है।

    एसटी के 220 डिपो पर हड़ताल शुरू

    महाराष्ट्र की लालपरी कही जाने वाली एसटी के 220 डिपो पर हड़ताल शुरू है। यूनियन के अनुसार, राज्य के अधिकांश डिपो में काम ठप आंदोलन जारी है। राज्य भर में 250  डिपो  हैं। आंदोलन का काफी असर यात्रियों पर पड़ रहा है। कर्मचारी एसटी निगम का सरकार में विलय करने और अन्य मांगों पर अड़े हैं। विदर्भ,मराठवाड़ा,पश्चिम महाराष्ट्र और कोंकण में भी एसटी हड़ताल का असर पड़ा है। सोमवार की राज्य भर के डिपो पर एसटी कामगारों का धरना आंदोलन जारी रहा। इन पर हाईकोर्ट के निर्देश का कोई असर नहीं दिखा।

    निजी बस ऑपरेटरों की चांदी

    एसटी कर्मियों  की हड़ताल के कारण गुजरात और मध्य प्रदेश और अन्य पड़ोसी राज्यों में जाने वाली एमएसआरटीसी की  बसें बाधित हैं। राज्य भर के अधिकांश ग्रामीण इलाकों में एसटी बसें बंद होने के कारण निजी बस ऑपरेटरों ने मनमाना किराया वसूलना शुरू कर दिया है। एसटी हड़ताल की वजह से निजी बस ऑपरेटरों की चांदी हो गई है।

    एसटी को करोड़ों का घाटा

    कामगार संगठनो का कहना है कि एसटी निगम ने इस आधार पर महंगाई भत्ता, किराया भत्ता, वेतन वृद्धि का भुगतान नहीं किया है कि एसटी घाटे में है। कोरोना काल में 306 एसटी कर्मचारियों की कोरोना के कारण जान चली गई। आर्थिक तंगी के चलते अब तक करीब 31 कर्मचारियों ने आत्महत्या कर ली है। नतीजा यह है कि एसटी निगम के राजस्व में प्रतिदिन करोड़ों का घाटा हो रहा है।

    12 सप्ताह में कमिटी लेगी निर्णय

    हाईकोर्ट के निर्देश के बाद एसटी कर्मचारियों की मांग को लेकर सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। परिवहन मंत्री अनिल परब ने कहा  कि कर्मचारी संगठनों के साथ सकारात्मक चर्चा चल रही है। समिति में मुख्य सचिव के अलावा वित्त एवं परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव भी शामिल हैं। यह समिति सभी 28 ट्रेड यूनियनों के साथ-साथ निगम के कर्मचारियों के विचारों को भी सुनेगी और  रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपेगी। परिवहन मंत्री ने एसटी कर्मचारियों से हड़ताल खत्म करने की अपील की।

    अवमानना नोटिस

    अदालत के आदेश की अवहेलना करने वाले कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के बाद अदालत ने यूनियन पदाधिकारियों के खिलाफ अवमाननानोटिस भी जारी किया। हालांकि, जब तक राज्य सरकार कोई ठोस फैसला नहीं लेती, तब तक यूनियनों और कार्यकर्ताओं ने हड़ताल वापस नहीं लेने का स्टैंड लिया है। अदालत ने हस्तक्षेप कर समझौता करने का निर्देश दिया है।