ST BUS
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    मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के ग्रामीण इलाके की लाइफलाइन (Lifeline) कही जाने वाली एसटी (ST) की आर्थिक स्थिति (Economic Condition) दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। समय पर यदि उचित कदम  नहीं उठाए गए तो निगम पूरी तरह दिवालिया हो जाएगा। एमएसआरटीसी (MSRTC) के अधिकारियों का कहना है,कि यदि हड़ताल (Strike) इसी तरह जारी रही तो बड़ी मुश्किल हो जाएगी। हड़ताल के कारण यात्रियों की संख्या दिन-ब-दिन घटने से राजस्व घाटा बढ़ रहा है।

    निगम अधिकारियों के अनुसार, कोरोना के चलते पिछले 2 साल में एसटी को 12,500 करोड़ रुपए से ज्यादा नुकसान हुआ। इसके अलावा पिछले साढ़े तीन माह से शुरू अनिश्चितकालीन हड़ताल से 1,500 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है।

    विलय पर अड़े कर्मचारी

    एसटी निगम पर लंबे समय से आर्थिक संकट के बादल हैं। कई बार कर्मचारियों के वेतन के लिए राज्य सरकार के दरवाजे पर जाना पड़ा। इन्ही सभी स्थितियों के चलते एसटी के कर्मचारी विलय पर अड़े हुए हैं। हाईकोर्ट के निर्देश पर गठित कमिटी की रिपोर्ट भी अभी नहीं आई है। इसके पहले परिवहन मंत्री ने विलय का संकेत दिया है। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजुद एसटी कर्मचारी हड़ताल वापस नहीं ले रहे हैं। एसटी निगम के लिए दैनिक खर्च चलाना कठिन हो गया है।

    कोरोनाकाल से पहले की हालत

    कोरोनाकाल से पहले निगम को सालाना 7,800 करोड़ रुपए की आय होती थी। कर्मचारियों के पूरे साल के वेतन, खर्च आदि को देखते हुए सालाना 100 से 150 करोड़ रुपए का ही नुकसान होता था। कोरोनाकाल में हर साल पांच से साढ़े पांच हजार रुपए का नुकसान हुआ। इसकी तुलना में वार्षिक आय मात्र तीन हजार करोड़ रुपए ही रही। हड़ताल की वजह से लालपरी के पहिए गहरे धंस गए हैं।