Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द किया और मामले को दोबारा ट्रायल कोर्ट भेजा। File Photo

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    मुंबई : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र (Maharashtra) सरकार (Government) और मुंबई (Mumbai) के पूर्व पुलिस कमिश्नर (Police Commissioner) के बीच चल रही कानूनी लड़ाई पर दोनों पक्षों को कड़ी फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने साफ तौर से कहा है कि इस मामले में दूध का धुला कोई भी नहीं है। हालांकि कोर्ट ने परमबीर सिंह को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ 9 मार्च तक किसी भी तरह की कार्रवाई करने से रोक लगा दी है।

    अब शीर्ष अदालत इस बात का फैसला करेगी कि परमबीर सिंह के खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को ट्रांसफर किया जाए या नहीं। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट,  9 मार्च को अंतिम सुनवाई करेगा। हालांकि महाराष्ट्र सरकार के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि सिंह के खिलाफ सभी मामले सीबीआई को ट्रांसफर नहीं किए जा सकते हैं, क्योंकि केंद्रीय जांच एजेंसी सिर्फ एक ही मामले को चाहती है। दूसरी ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एक कोर्ट अफसर के तौर पर मेरा सुझाव है कि ये मामला एक एजेंसी को दे देना चाहिए और ये एजेंसी सीबीआई है।

    जिसमें सारे मामले सीबीआई को सौंपने की मांग की गई है

    दरअसल, सुप्रीम कोर्ट परमबीर सिंह की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें सारे मामले सीबीआई को सौंपने की मांग की गई है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महाराष्ट्र पुलिस जांच जारी रख सकती है, लेकिन कोई चार्जशीट दाखिल नहीं करेगी। कोर्ट ने परमबीर सिंह को पुलिस जांच में सहयोग करने का भी आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि वह अपने “हाथों को रोक कर रखें”। कोर्ट ने कहा कि हमने अब इस मामले को अंतिम सुनवाई के लिए रख दिया है, ऐसे में जांच पूरी होने से समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता डेरियस खंबाटा ने इस बारे में शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया। जिसके बाद अदालत ने कहा कि हम आपके द्वारा दिए गए आश्वासन को रिकॉर्ड पर लेते हैं।

    दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति

    सुनवाई के दौरान जस्टिस एस।के। कौल ने कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। इसमें अनावश्यक रूप से राज्य प्रशासन और  पुलिस व्यवस्था में लोगों के विश्वास को झकझोरने की प्रवृत्ति है। इसमें कोई दूध का धुला नहीं है, लेकिन कानून की सही प्रक्रिया चलती रहनी चाहिए।

    क्या है मामला

    मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने यह कह कर सनसनी फैला दी थी कि महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने पुलिस विभाग को हर महीने 100 करोड़ रुपए वसूली का टारगेट दिया था। इस बारे में उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिख कर पूरे मामले की जांच करने की मांग की थी। इसके बाद इस मामले में तूल पकड़ लिया और मुंबई पुलिस ने सिंह के खिलाफ अन्य मामलों में वसूली की जांच करते हुए उन पर शिकंजा कस दिया था। इन मामलों को लेकर सिंह पर गिरफ्तारी की तलवार भी लटक रही थी, लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट से एक बार फिर 9 मार्च तक के लिए राहत मिल गई है।