Devendra Fadnavis
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    मुंबई: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Assembly) से एक साल के लिए निलंबित (Suspension) किए गए भाजपा (BJP) के 12 विधायकों  (12MLAs) का निलंबन रद्द कर दिया है। शीर्ष अदालत के फैसले से बीजेपी के हौसले बुलंद हुए है। पार्टी के नेता अदालत के फैसले को लोकतंत्र की जीत बताते हुए राज्य की आघाड़ी सरकार  पर हमलावर हैं। वहीं दूसरी तरफ, अदालत के फैसले से आघाड़ी तिलमिला गई है। वह अब भी टकराव के मूड में है। शिवसेना के नेताओं ने अदालत के फैसले पर सवाल भी उठाया है। एनसीपी प्रवक्ता और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक ने कहा है कि अंतिम फैसला विधानसभा अध्यक्ष को लेना है।

    मानसून सत्र के दौरान 5 जुलाई 2021 को तत्कालीन पीठासीन अधिकारी भाष्कर जाधव के साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार करने के आरोप में भाजपा के 12 विधायकों संजय कुटे, आशीष शेलार, अभिमन्यु पवार, गिरीश महाजन, अतुल भातखलकर, पराग अलवानी, हरीश पिंपले, योगेश सागर, जय कुमार रावत, नारायण कुचे, राम सतपुते और बंटी भांगड़िया को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को महाराष्ट्र विधानसभा के को पारित प्रस्ताव को रद्द करने का फैसला किया है। 

     षडयंत्र के तहत हुआ निलंबन: देवेंद्र फडणवीस

    अदालत के फैसले के बाद विधान सभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कहा कि यह स्पष्ट हो गया है कि एक षडयंत्र के तहत 12 विधायकों को निलंबित करने का निर्णय सरकार ने लिया था। सरकार पर जिम्मेदारी निश्चित की जानी चाहिए की षडयंत्रकारी कौन थे। सरकार को मतदाताओं से से माफी मांगनी चाहिए। 

    लोकतंत्र की जीत: प्रवीण दरेकर

    अदालत फैसला आने के बाद विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर, निलंबित किये गए विधायक एवं पूर्व मंत्री आशीष शेलार, अतुल भातखलकर सहित अन्य ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र की जीत है। भाजपा नेताओं का कहना है कि सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं हो सकता है।

    कानून और संविधान के अनुसार निर्णय लिए जाते हैं: सांसद संजय राउत 

     शिवसेना नेता एवं सांसद संजय राउत ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि निलंबन का फैसला स्पीकर ने उस समय की स्थिति को देखते हुए लिया था। यह लोकतंत्र बचाने के लिए लिया गया निर्णय था। उनके चैंबर में हुई मारपीट के बाद यह कार्रवाई की गई है। मुझे लगता है कि यह उसका अधिकार है। कानून और संविधान के अनुसार निर्णय लिए जाते हैं। 

    विधायकों के निलंबन का फैसला आज आया है। उसकी प्रति विधान मंडल सचिव को मिलने के बाद विधान सभा अध्यक्ष उस पर अंतिम निर्णय लेंगे।

    -नवाब मलिक, एनसीपी प्रवक्ता एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री

    सुप्रीम कोर्ट ने यदि यह कहा है कि इन्हें बाहर नहीं रखा जा सकता है तब भी विधानसभा परिसर में किसे लेना है यह अधिकार अध्यक्ष का होता है। जिसकी वजह से असली लड़ाई आगे होनी है। सब कुछ सरकार और अध्यक्ष की भूमिका पर निर्भर है। सरकार क्या निर्णय लेगी यह हम नहीं कह सकते, लेकिन क़ानूनी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

    -भाष्कर जाधव, शिवसेना विधायक,तत्कालीन पीठासीन अधिकारी