महाराष्ट्र की जेलों में बंद हैं क्षमता से अधिक कैदी, विचाराधीन कैदियों की संख्या अधिक

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    -तारिक खान 

    मुंबई: महाराष्ट्र की जेलों (Maharashtra Jails) में कैदियों (Prisoners) की दिन-ब-दिन बढ़ती संख्या से हांफ रही हैं। इन जेलों (Jails) में उन बंदियों की संख्या भी अधिक है जिनके मामले अदालतों में विचाराधीन हैं और वह दूसरे राज्य के है। जेलों की हालत ऐसी है कि अब ज्यादा कैदियों को इन जेल में रखना मुश्किल होता जा रहा हैं। कई जेलों में उनकी क्षमता से चौगुने कैदियों को रखा जा रहा है। अब प्रशासन के सामने सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर कैदियों को जेल में रखने की क्षमता कब बढ़ेगी। वहीं, कैदियों की बढ़ती संख्या के बीच राज्य की जेलों में कर्मचारियों की भी भारी कमी देखी जा रही है। 

    राज्य में 9 केंद्रीय और 51 वर्ग 1, 2, 3 जिला जेल है। इसमें 19 खुली जेल, 3 महिला जेल, 1 खुली कॉलोनी, 1 किशोर सुधार गृह और जेल हॉस्पिटल शामिल है। कुल जिलों के कैदियों को रखने की क्षमता अब खत्म हो गई है। इन जेलों में 29 जुलाई तक कैदियों की आधिकारिक क्षमता 24,722 है, लेकिन इन जेलों में अभी 42,727 कैदियों को रखा जा रहा है। इसमें 41,007 पुरुष,1,707 महिला और 13 ट्रांसजेंडर भी शामिल हैं। जेल की संख्या कम होने के कारण कई कैदियों को उन्ही जेलों में रखा जा रहा है और इसके साथ ही सुविधाओं का भी अभाव देखा रहा है।

    जेलों में सुविधाओं की कमी 

    सुविधाओं की कमी और अधिक संख्या होने के कारण कैदियों में कई तरह की बीमारियां भी होने लगी है। गौरतलब है कि मुंबई आर्थर रोड और ठाणे जेल में कैदियों की संख्या इसलिए भी अधिक है। क्योंकि ट्रायल और तारीख के समय अदालत आने-जाने के लिए यह दो जेलें सही है, जबकि कल्याण, तलोजा आदि जेल बहुत दूर हैं और कैदियों को वहां से लाना रिस्की भी है।

    कैदियों की संख्या की वजह यह भी है कि अधिकतर ट्रायल केस मुस्लिम, दलित और आदिवासी समाज का है, इनको कोई पूछने वाला नहीं है। ऐसे बहुत से कैदी है जो अपनी सजा से कई गुना अधिक समय जेल में रहते है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिन कैदी की सजा एक साल है और वह उससे अधिक समय जेल में रहा है तो उसे रिहा कर देना चाहिए, लेकिन कौन इन्हे रिहा करेगा। 2104 के बाद कोर्ट का रवैया बदल गया है क्रिमिनल लॉ में, जो भी सरकार कहती है अदालतें उसको मानती है, कोर्ट आजकल सरकार का काम कर रही है, जब अदालत अपना काम नहीं करेगी तो उन्हें सालों से बंद कैदी कैसे रिहा होंगे।

    -बी. जी. कोलसे पाटिल, पूर्व न्यायाधीश बॉम्बे हाई कोर्ट

    गोवंडी की बायो मेडिकल वेस्ट एसएमएस कंपनी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में 11 दिनों तक भायखला जेल में रही हूं और जेल को करीब से देखा है। जेलों में बहुत गरीब तबके के कैदी बंद है। अपराध छोटा है, मगर बिना सजा के सालों से जेल में बंद है क्योंकि उन्हें रिहा कराने वाला कोई नहीं है। कैदियों की संख्या अधिक होने की वजह से बहुत परेशानी होती है।मामूली अपराधों की वजह से जेलों में सालों से बंद,कैदियों की रिहाई के लिए एक कमेटी गठित की जाए,ताकि सालों से जेल में बंद कैदी रिहा हो सके।

    -रुखसाना सिद्दीकी, पूर्व नगरसेविका, एसपी

    जनसंख्या बढ़ रही है, अपराधों में भी इजाफा हो रहा है, कोविड-19 के समय जेलों में कैदियों की संख्या करीब 37 हजार थी और लेकिन अभी 42 हजार से अधिक है।

    -योगेश देसाई, डीआईजी जेल महाराष्ट्र
    • सेंट्रल जेल आर्थर रोड में 804 बंदी क्षमता के विरूद्ध 3,530 कैदी बंद है।
    • ठाणे सेंट्रल जेल में 1,105 बंदी क्षमता के बजाय 4,245 कैदी बंद है।
    • येरवडा सेंट्रल जेल में 2,449 बंदी क्षमता के विरूद्ध 7,027 कैदी बंद है।
    • कल्याण सेंट्रल जेल में 540 बंदियों की क्षमता के बजाय 2,107 कैदी बंद है।
    • तलोजा सेंट्रल जेल में 2,124 बंदी क्षमता के विरूद्ध 3,332 कैदी बंद है।
    • नागपुर सेंट्रल जेल में 1,840 बंदी क्षमता के विरूद्ध 3,055 कैदी बंद है।
    • भायखला महिला जेल में 262 बंदी क्षमता के बजाय 3,66 कैदी बंद है।
    • अमरावती सेंट्रल जेल में 973 बंदी क्षमता के बजाय 1,500 कैदी बंद है।
    • कोल्हापुर सेंट्रल जेल में 1,789  बंदी क्षमता के बजाय 2210 कैदी बंद है।